आर्यभट्ट: शिक्षा और प्रारंभिक जीवन

आर्यभट्ट की शिक्षा के बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है। माना जाता है कि उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कुसुमपुर में ही प्राप्त की होगी। बाद में वह नालंदा विश्वविद्यालय गए, जो उस समय ज्ञान का एक प्रमुख केंद्र था। वहां उन्होंने गणित, खगोल विज्ञान और अन्य विषयों का गहन अध्ययन किया।

आर्यभटीय: एक क्रांतिकारी ग्रंथ

आर्यभट्ट का सबसे महत्वपूर्ण योगदान उनका ग्रंथ "आर्यभटीय" है। माना जाता है कि उन्होंने यह ग्रंथ मात्र 23 वर्ष की आयु में लिखा था। "आर्यभटीय" गणित, खगोल विज्ञान और ज्योतिषशास्त्र से संबंधित विषयों का एक संकलन है। इस ग्रंथ में आर्यभट्ट ने कई क्रांतिकारी विचारों को प्रस्तुत किया: