सुकरात की शक्ल-सूरत के बारे में कहा जाता है कि वह बहुत आकर्षक नहीं थे, लेकिन उनका दिमाग बेहद तेज था। वह भौतिक सुखों की परवाह नहीं करते थे और अपना अधिकांश समय एथेंस की सड़कों पर घूमने और लोगों से बातचीत करने में बिताते थे।

सुकरात ने कभी कुछ नहीं लिखा। उनके विचारों को उनके शिष्यों, विशेष रूप से प्लेटो और अरस्तू द्वारा लिखित कार्यों के माध्यम से जाना जाता है।

सुकराती पद्धति