प्रेम और रिश्ते:

प्रेम एक अवस्था है: ओशो के अनुसार, प्रेम कोई क्रिया नहीं, बल्कि एक अवस्था है। यह एक ऐसा अनुभव है जो हमें आनंद और पूर्णता से भर देता है।

रिश्ते स्वतंत्रता पर आधारित होने चाहिए: ओशो का मानना था कि रिश्तों में स्वतंत्रता का होना बहुत जरूरी है। अगर रिश्ते में बंधन और अपेक्षाएं होंगी, तो प्यार नहीं पनप सकता।