1. नमक का दरोगा कहानी का सारांश

कहानी के नायक हैं बंशीधर, जो एक सरकारी अधिकारी हैं और उन्हें नमक का दरोगा बना दिया जाता है। वह ईमानदार हैं, लेकिन उनका स्थान और स्थिति उन्हें बुरी परिस्थितियों में डाल देती है। बंशीधर को एक बड़े नमक के गोदाम में जिम्मेदारी दी जाती है, जहां उन्हें नमक की तौल और उसकी गुणवत्ता की जांच करनी होती है।

बंशीधर का मुख्य कर्तव्य है नमक की चोरी को रोकना और यह सुनिश्चित करना कि गोदाम में नमक सही तरीके से तौल और वितरित हो। हालांकि, इस काम में उन्हें अपने सहकर्मियों और वरिष्ठ अधिकारियों से भी भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है। कहानी का मुख्य मोड़ तब आता है जब बंशीधर , अपने कर्तव्यों के पालन में, कुछ गलती करते हैं और अंत में उनकी ईमानदारी उनके लिए परेशानी का कारण बन जाती है। उनका संघर्ष और अंत में जो कुछ भी घटित होता है, वह भ्रष्टाचार और प्रशासनिक प्रणाली की विफलताओं की एक स्पष्ट छवि पेश करता है।