कफन: कहानी का सारांश

घीसू और माधव दोनों पिता-पुत्र हैं, जो गांव के सबसे निकम्मे और कामचोर माने जाते हैं। दोनों को काम करने की आदत नहीं है। घीसू पहले थोड़ा बहुत खेती का काम करता था, लेकिन अब वह भी बिल्कुल आलसी हो चुका है। माधव भी अपने पिता की तरह लापरवाह और आलसी है। दोनों मिलकर एक दिन काम करते हैं और तीन दिन आराम। इनके आलसीपन और निकम्मेपन का यह आलम है कि जब घर में खाने के लिए कुछ नहीं होता, तो ये लोग गांव में भीख मांगकर या किसी के घर से थोड़ा-बहुत काम करके गुज़ारा करते हैं।

घीसू की पत्नी मर चुकी है और अब घर में बस तीन लोग हैं - घीसू, माधव और माधव की गर्भवती पत्नी। माधव की पत्नी गर्भवती होने के बावजूद उनके लिए मेहनत करती है और उन्हें खाना बनाकर खिलाती है। एक दिन, माधव की पत्नी प्रसव पीड़ा से तड़पती है, लेकिन घीसू और माधव को उसकी कोई परवाह नहीं होती। वे दोनों चूल्हे के पास बैठे हुए आलू भून रहे होते हैं और उसकी पीड़ा को अनदेखा कर देते हैं।