एकांत से एकता की यात्रा

जंगल के उस कोने में, जहां पेड़ों की छाया इतनी घनी थी कि सूरज की किरणें भी शर्माकर लौट जाती थीं, एक छोटी सी झोपड़ी थी। वहाँ रहता था एक साधु, जिसका नाम था वृद्धाचार्य। वह वर्षों से तपस्या में लीन था, संसार की भागदौड़ से कोसों दूर। उसकी आँखों में एक गहरी शांति थी, जो किसी सागर की गहराई जैसी थी।

एक दिन, जंगल के किनारे बसे गाँव से एक युवक आया, जिसका नाम था अमन। वह जीवन की व्यस्तता से थक चुका था, और एकांत की तलाश में था। वृद्धाचार्य के बारे में सुनकर वह उनकी शरण में आ गया।