जॉर्ज इवानोविच गुरजिएफ: एक रहस्यमय गुरु की जीवनी George Ivanovich Gurdjieff Teachings

जॉर्ज इवानोविच गुरजिएफ: एक रहस्यमय गुरु...
जीवनी

इस लेख में, हम गुरजिएफ के दर्शन, उनकी अनूठी शिक्षा पद्धति "द फोर्थ वे" और आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए उनके सिद्धांतों को अन्वेषण करेंगे.

जॉर्ज गुरजिएफ: एक रहस्यमय गुरु

जॉर्ज गुरजिएफ (1866/1872/1877 - 1949) एक रूसी दार्शनिक, आध्यात्मिक गुरु और रहस्यवादी थे, जिनकी जीवन कहानी उतनी ही रहस्यमय है जितनी उनकी शिक्षाएं। उनके जन्म का सही वर्ष तक विवादित है, और उनके शुरुआती जीवन के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है.

यह माना जाता है कि उनका जन्म आर्मेनिया (अब आर्मेनिया गणराज्य) के एक क्षेत्र में हुआ था। युवावस्था में, गुरजिएफ ने यात्रा करने और विभिन्न आध्यात्मिक परंपराओं का अध्ययन करने में काफी समय बिताया। उन्होंने दावा किया कि वे सुफी संतों, बौद्ध भिक्षुओं और अन्य गुप्त समाजों के संपर्क में आए थे, जिन्होंने उन्हें गुप्त ज्ञान प्रदान किया।

अपनी यात्राओं के बाद, गुरजिएफ ने एक अनूठी आध्यात्मिक शिक्षा प्रणाली विकसित की जिसे उन्होंने "द फोर्थ वे" (चौथा रास्ता) कहा. उनकी शिक्षाओं का मुख्य विषय यह विचार था कि अधिकांश लोग बेहोशी की अवस्था में जीवन व्यतीत करते हैं, जिसे उन्होंने "जागृत सुषुप्ति" कहा. गुरजिएफ का मानना था कि इस स्थिति से जागने और उच्च चेतना प्राप्त करना संभव है, लेकिन इसके लिए कठिन आंतरिक कार्य की आवश्यकता होती है.

गुरजिएफ की शिक्षाओं की कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं:

  • आत्म-यांत्रिक मनुष्य: गुरजिएफ का मानना था कि अधिकांश लोग आदतन प्रतिक्रिया करते हैं और बेहोशी की अवस्था में जीते हैं. वह उन्हें "आत्म-यांत्रिक मशीनों" के रूप में संदर्भित करते थे.
  • आत्म-स्मरण: गुरजिएफ ने "आत्म-स्मरण" के अभ्यास पर बल दिया, जो वर्तमान क्षण में जागरूक रहने और अपने विचारों, भावनाओं और कार्यों को देखने का अभ्यास है.
  • आंतरिक कार्य: उनकी शिक्षाओं में "आंतरिक कार्य" पर भी जोर दिया गया है, जिसका अर्थ है आत्म-विकास और आत्म-संघर्ष के माध्यम से आंतरिक परिवर्तन लाना.
  • एन्नियाग्राम: गुरजिएफ ने व्यक्तित्व के नौ प्रकारों को दर्शाने वाले एक प्रतीक, एन्नियाग्राम का उपयोग किया.

गुरजिएफ की शिक्षा पद्धति अपरंपरागत और चुनौतीपूर्ण थी। उन्होंने छात्रों को कठोर शारीरिक और मानसिक अभ्यासों के माध्यम से रखा, और उनकी शिक्षा अक्सर प्रतीकात्मक और गूढ़ होती थी। कुछ छात्रों ने उन्हें एक महान गुरु के रूप में माना, जबकि अन्य ने उनकी विधियों की आलोचना की.

1920 के दशक में, गुरजिएफ फ्रांस के फोंटेनब्लो के पास प्रीउरे नामक एक संपत्ति में चले गए। उन्होंने वहां छात्रों का एक समुदाय स्थापित किया और अपनी शिक्षाओं को सिखाना जारी रखा। 1949 में उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी शिक्षाएँ उनके छात्रों और अनुयायियों द्वारा दुनिया भर में फैल गईं.

गुरजिएफ एक विवादास्पद व्यक्ति थे, लेकिन उनकी शिक्षाओं का पश्चिमी मनोविज्ञान और आध्यात्मिक आंदोलनों पर गहरा प्रभाव पड़ा है। आज भी, उनकी शिक्षाएं उन लोगों को आकर्षित करती हैं जो आत्म-जागरूकता और आध्यात्मिक विकास में रुचि रखते हैं.

जॉर्ज गुरजिएफ: महत्वपूर्ण जानकारी

जानकारी

विवरण

जन्म

वर्ष विवादित (1866/1872/1877)

मृत्यु

1949

जन्मस्थान

आर्मेनिया (अब आर्मेनिया गणराज्य)

पेशा

दार्शनिक, आध्यात्मिक गुरु, रहस्यवादी

शिक्षा पद्धति

"द फोर्थ वे" (चौथा रास्ता)

शिक्षाओं का सार

आत्म-जागृति प्राप्त करना और उच्च चेतना तक पहुँचना

मुख्य अवधारणाएँ

जाग्रत सुषुप्ति (बेहोशी की स्थिति)
आत्म-यांत्रिक मनुष्य
आत्म-स्मरण
आंतरिक कार्य
एन्नियाग्राम (व्यक्तित्व के 9 प्रकार)
उच्च स्व (विकसित चेतना)
संघर्ष और पीड़ा का महत्व
एसेम्बलिंग (आत्म-एकीकरण)
कॉस्मिक ड्रामा (ब्रह्माण्डीय नाटक)

प्रभाव

पश्चिमी मनोविज्ञान और आध्यात्मिक आंदोलनों पर गहरा प्रभाव

गुरजिएफ की शिक्षाएं जटिल हैं, लेकिन यहाँ उनके कुछ मूलभूत सिद्धांत हिंदी में संक्षेप में दिए गए हैं:

जागृत सुषुप्ति: अधिकांश लोग बेहोशी की अवस्था में जीवन जीते हैं. गुरजिएफ इसे "जागृत सुषुप्ति" कहते हैं, जहाँ हम आदतों और प्रतिक्रियाओं पर चलते हैं.

आत्म-यांत्रिक मनुष्य: इस अवस्था में, हम "आत्म-यांत्रिक मशीनों" की तरह काम करते हैं.

आत्म-स्मरण: इस जाल से निकलने के लिए, गुरजिएफ "आत्म-स्मरण" के अभ्यास पर बल देते हैं. यानि वर्तमान क्षण में सजग रहना और अपने विचारों, भावनाओं और कार्यों को देखना.

आंतरिक कार्य: यह आत्म-विकास और आत्म-संघर्ष के द्वारा खुद को बदलने की प्रक्रिया है.

एन्नियाग्राम: गुरजिएफ व्यक्तित्व के नौ प्रकारों को दर्शाने वाले "एन्नियाग्राम" नामक प्रतीक का उपयोग कर आत्म-समझ को बढ़ावा देते हैं.

इन सिद्धांतों के माध्यम से, गुरजिएफ का लक्ष्य लोगों को अधिक जागरूक, जिम्मेदार और आध्यात्मिक प्राणी बनने में मदद करना था.

गुरजिएफ की दार्शनिकता और विचार उनकी शिक्षाओं से गहरे जुड़े हुए हैं, लेकिन कुछ पहलू ऊपर बताए गए सिद्धांतों से थोड़ा अलग हैं. आइए देखें उनके कुछ अनूठ विचारों को हिंदी में:

उच्च स्व (Higher Self): गुरजिएफ का मानना था कि मनुष्यों में एक "उच्च स्व" होता है, जो हमारी चेतना का एक विकसित रूप है. यह "आत्म-यांत्रिक" अस्तित्व से परे है और सच्ची संभावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है. हमारी यात्रा इस उच्च स्व को जगाने और उसके साथ जुड़ने की है.

संघर्ष और पीड़ा का महत्व: गुरजिएफ ने माना कि आराम और सुख आध्यात्मिक विकास में बाधा हैं. सच्चा विकास असुविधा, संघर्ष और आंतरिक पीड़ा के माध्यम से आता है. ये अनुभव हमें जगाते हैं और हमें बदलने के लिए प्रेरित करते हैं.

एसेम्बलिंग (Assembling): गुरजिएफ का एक अनूठा विचार "एसेम्बलिंग" (संयोजन) की अवधारणा है. उनका मानना था कि आमतौर पर हमारी चेतना टुकड़ों में बिखरी होती है. आध्यात्मिक कार्य का एक लक्ष्य इन टुकड़ों को एक साथ "इकट्ठा" करना है, एक अधिक एकीकृत और सचेत व्यक्ति बनना है.

कॉस्मिक ड्रामा (Cosmic Drama): गुरजिएफ ने ब्रह्मांड को एक विशाल "कॉस्मिक ड्रामा" के रूप में देखा, जहां सब कुछ परस्पर जुड़ा हुआ है. हमारा लक्ष्य इस नाटक को समझना और उसमें अपनी भूमिका निभाना सीखना है.

यह कुछ ऐसे विचार हैं जो गुरजिएफ की दार्शनिकता को उनके द्वारा सिखाए गए विशिष्ट अभ्यासों से परे विशिष्ट बनाते हैं. ये विचार गुरजिएफ के इस विश्वास को दर्शाते हैं कि आध्यात्मिक विकास एक जटिल और चुनौतीपूर्ण यात्रा है, जो आत्म-जागृति, आंतरिक संघर्ष और ब्रह्मांड के साथ जुड़ने से प्राप्त होती है.

Frequently Asked Questions

गुरजिएफ (1866/1872/1877 - 1949) एक रूसी दार्शनिक, आध्यात्मिक गुरु और रहस्यवादी थे. उन्होंने "द फोर्थ वे" (चौथा रास्ता) नामक एक अनूठी शिक्षा पद्धति विकसित की, जिसका उद्देश्य लोगों को आत्म-जागरूकता प्राप्त करने और उच्च चेतना तक पहुँचने में मदद करना था.

गुरजिएफ की शिक्षाओं का मुख्य विषय यह विचार है कि अधिकांश लोग बेहोशी की अवस्था में जीवन व्यतीत करते हैं. उनका मानना था कि इस स्थिति से जागने और आंतरिक कार्य के माध्यम से आत्म-विकास करना संभव है. उनकी शिक्षाओं में "आत्म-स्मरण", "एन्नियाग्राम" और "उच्च स्व" को जगाने पर बल दिया गया है.

"द फोर्थ वे" आध्यात्मिक विकास का एक मार्ग है जो गुरजिएफ ने सिखाया. यह पारंपरिक धर्मों से अलग है और आत्म-जागरूकता और आंतरिक संघर्ष के माध्यम से आध्यात्मिक विकास पर जोर देता है.

गुरजिएफ की शिक्षाओं की आलोचना की गई है क्योंकि उन्हें अस्पष्ट, गूढ़ और कठोर माना जाता है. उनके छात्रों को कठिन अभ्यासों से गुजरना पड़ता था, और उनकी मृत्यु के बाद उनकी शिक्षाओं की व्याख्या को लेकर मतभेद पैदा हो गए.

गुरजिएफ की शिक्षाओं का पश्चिमी मनोविज्ञान और आध्यात्मिक आंदोलनों पर गहरा प्रभाव पड़ा है. आज भी, उनकी शिक्षाएं उन लोगों को आकर्षित करती हैं जो आत्म-जागरूकता, आध्यात्मिक विकास और अपने जीवन में अधिक सचेत रूप से जीने के तरीके खोज रहे हैं.
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