गीता के 20 अनमोल वचन जो जीवन को सफल और आनंदमय बनाते हैं! Anmol Vachan

भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में अर्जुन को जीवन, धर्म, कर्म और मोक्ष का गहन ज्ञान दिया। जानिए गीता के 20 अनमोल वचन, जो हमें प्रेरणा और सही मार्गदर्शन देते हैं।

गीता के 20 अनमोल वचन जो जीवन को सफल और आ...

गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन, धर्म, कर्म और मोक्ष के बारे में गहन ज्ञान दिया है। यहां गीता के 20 अनमोल वचन दिए गए हैं, जो हमें जीवन में प्रेरणा और मार्गदर्शन देते हैं:

1. कर्म पर ध्यान दो, फल की चिंता मत करो।

"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।" (अध्याय 2, श्लोक 47)

2. आत्मा न जन्म लेती है, न मरती है।

"न जायते म्रियते वा कदाचिन्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।" (अध्याय 2, श्लोक 20)

3. जो हुआ, वह अच्छा हुआ; जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है; जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा।

"यदृच्छालाभसंतुष्टो द्वंद्वातीतो विमत्सरः।" (अध्याय 4, श्लोक 22)

4. मन को नियंत्रित करो, यही सफलता का मार्ग है।

"आत्मौपम्येन सर्वत्र समं पश्यति योऽर्जुन।" (अध्याय 6, श्लोक 32)

5. जो स्थिर मन वाला है, वही योगी है।

"योगस्थः कुरु कर्माणि संग त्यक्त्वा धनंजय।" (अध्याय 2, श्लोक 48)

6. ज्ञानी व्यक्ति सभी प्राणियों में एक ही आत्मा को देखता है।

"विद्याविनयसंपन्ने ब्राह्मणे गवि हस्तिनि।" (अध्याय 5, श्लोक 18)

7. जो मनुष्य इंद्रियों को वश में कर लेता है, वही सच्चा ज्ञानी है।

"यदा संहरते चायं कूर्मोऽङ्गानीव सर्वशः।" (अध्याय 2, श्लोक 58)

8. सुख और दुख समान भाव से स्वीकार करो।

"सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ।" (अध्याय 2, श्लोक 38)

9. जो व्यक्ति अपने कर्तव्य का पालन करता है, वही सच्चा योगी है।

"योगः कर्मसु कौशलम्।" (अध्याय 2, श्लोक 50)

10. जो व्यक्ति मोह को त्याग देता है, वही मुक्ति पाता है।

"मोहात्संसारवर्तिनः।" (अध्याय 7, श्लोक 27)

11. जो व्यक्ति सभी इच्छाओं को त्याग देता है, वही शांति पाता है।

"यदृच्छालाभसंतुष्टो द्वंद्वातीतो विमत्सरः।" (अध्याय 4, श्लोक 22)

12. जो व्यक्ति ध्यान में लीन रहता है, वही परमात्मा को प्राप्त करता है।

"ध्यानेनात्मनि पश्यन्ति केचिदात्मानमात्मना।" (अध्याय 13, श्लोक 24)

13. जो व्यक्ति सभी प्राणियों में समभाव रखता है, वही मुझे प्रिय है।

"समः शत्रौ च मित्रे च तथा मानापमानयोः।" (अध्याय 12, श्लोक 18)

14. जो व्यक्ति सच्चे मन से मेरी भक्ति करता है, वह मुझे प्राप्त करता है।

"मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु।" (अध्याय 9, श्लोक 34)

15. जो व्यक्ति सभी कर्म मुझे अर्पित करता है, वही मुक्ति पाता है।

"सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।" (अध्याय 18, श्लोक 66)

16. जो व्यक्ति सभी इच्छाओं से मुक्त हो जाता है, वही सच्चा संन्यासी है।

"यदृच्छालाभसंतुष्टो द्वंद्वातीतो विमत्सरः।" (अध्याय 4, श्लोक 22)

17. जो व्यक्ति सभी प्राणियों में मुझे देखता है, वही सच्चा ज्ञानी है।

"वासुदेवः सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभः।" (अध्याय 7, श्लोक 19)

18. जो व्यक्ति सभी कर्म मुझे समर्पित करता है, वही मुझे प्राप्त करता है।

"सर्वकर्माणि मनसा संन्यस्यास्ते सुखं वशी।" (अध्याय 12, श्लोक 11)

19. जो व्यक्ति सभी इच्छाओं को त्याग देता है, वही शांति पाता है।

"निराशीर्यतचित्तात्मा त्यक्तसर्वपरिग्रहः।" (अध्याय 12, श्लोक 16)

20. जो व्यक्ति मुझे सच्चे मन से याद करता है, वह मुझे प्राप्त करता है।

"अनन्यचेताः सततं यो मां स्मरति नित्यशः।" (अध्याय 8, श्लोक 14)

ये वचन हमें जीवन में धैर्य, कर्तव्यपरायणता और आत्मज्ञान की ओर प्रेरित करते हैं। गीता का ज्ञान हर युग में प्रासंगिक है और हमें सही मार्ग दिखाता है।

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