सम्राट अशोक: चक्रवर्ती सम्राट और बौद्ध धर्म के प्रचारक! Biography of Samrat Ashoka in Hindi with FAQs
सम्राट अशोक, जिन्हें "चक्रवर्ती सम्राट" के नाम से भी जाना जाता है, मौर्य साम्राज्य के सबसे महान शासकों में से एक थे। उनका शासनकाल ईसा पूर्व 268 से ईसा पूर्व 232 तक रहा, और इस दौरान उन्होंने न केवल एक विशाल साम्राज्य का निर्माण किया, बल्कि बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आइए उनके जीवन और कारनामों पर विस्तार से नज़र डालें:
जीवनी
By
Akash Jyoti
Last Update
Jul 22, 2024
Share
सम्राट अशोक का प्रारंभिक जीवन और सत्ता में वृद्धि:
- अशोक का जन्म मौर्य सम्राट बिंदुसार के पुत्रों में से एक के रूप में हुआ था। उनकी जन्म तिथि अज्ञात है, लेकिन माना जाता है कि वह अपने सौ से अधिक भाइयों में से एक थे।
- युवावस्था में, उन्हें उज्जैन प्रांत का प्रशासक नियुक्त किया गया था।
- कलिंग युद्ध (ईसा पूर्व 261), जो उस समय के इतिहास में सबसे खूनी युद्धों में से एक था, में उनकी भूमिका विवादित है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि उन्होंने सेनापति के रूप में युद्ध का नेतृत्व किया, जबकि अन्य का मानना है कि वह युद्ध के दौरान वहां मौजूद नहीं थे।
- युद्ध की भयावहता से अशोक गहराई से प्रभावित हुए और उन्होंने हिंसा का त्याग करने और बौद्ध धर्म अपनाने का फैसला किया।
सम्राट अशोक का बौद्ध धर्म को अपनाना और प्रचार:
- कलिंग युद्ध के बाद, अशोक बौद्ध धम्म के अनुयायी बन गए। धम्म, जिसका अर्थ "कर्तव्य" या "पवित्र जीवन" होता है, नैतिकता और अहिंसा पर केंद्रित है।
- उन्होंने पूरे भारत में शिलालेख और स्तंभ खड़े करके बौद्ध धर्म के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये शिलालेख धम्म के सिद्धांतों का वर्णन करते हैं और लोगों को अहिंसा, सत्यता, दान और दयालुता का पालन करने का उपदेश देते हैं।
- उन्होंने बौद्ध धर्म को फैलाने के लिए मिशनरियों को भी विदेशों में भेजा।
सम्राट अशोक का शासन और प्रशासन:

