मातु पिता गुर प्रभु कै बानी – बिना विचार किए इन्हें शुभ मानें! माता-पिता गुरु पर सुविचार
हमारे जीवन में माता-पिता, गुरु और ईश्वर का स्थान अद्वितीय है। वे हमें सही मार्ग दिखाते हैं और जीवन को सही दिशा में ले जाते हैं। यह दोहा हमें सिखाता है कि इनकी वाणी को बिना सोचे-समझे शुभ मानना और उनका अनुसरण करना ही हमारे जीवन को समृद्ध और सफल बना सकता है।
उद्धरण
By
Amit Kumar
Last Update
Feb 24, 2025
Share
यह दोहा गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित है। तुलसीदास जी एक महान संत और कवि थे, जिन्होंने कई महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की, जिनमें सबसे प्रसिद्ध "रामचरितमानस" है। उनके दोहों और चौपाइयों में गहरे आध्यात्मिक और नैतिक संदेश होते हैं, जो भारतीय संस्कृति और समाज में आज भी प्रासंगिक हैं। यह दोहा भी उनकी शिक्षाओं और विचारों का प्रतिबिंब है, जिसमें गुरु, माता-पिता और ईश्वर की महत्ता का वर्णन किया गया है।
"मातु पिता गुर प्रभु कै बानी।

