कहानी 1: विपरीत हवेली

रघुनाथ और सारिका को रहस्यमयी और पुरानी जगहों की ओर एक अनजानी खिंचाव था। उन्होंने सुना था कि पुराने किले, मंदिर और हवेलियाँ अक्सर किसी न किसी रहस्य को छुपाए रहती हैं। एक दिन, उनकी जिज्ञासा उन्हें उस प्राचीन हवेली तक ले आई, जिसके बारे में गांव में तरह-तरह की बातें कही जाती थीं। इस हवेली का नाम लेते ही गांव वालों की आवाज़ में डर साफ झलकता था। कहा जाता था कि रात के अंधेरे में इस हवेली में कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं, जिन्हें कोई भी तर्क समझ नहीं पाता।

रघुनाथ और सारिका ने इस डर को महज़ अफवाह समझा और उस हवेली में रात बिताने का निश्चय कर लिया। जैसे ही सूरज ढला और रात का सन्नाटा हवेली पर छा गया, हवेली का हर कोना एक अलग ही कहानी सुनाने लगा। अंदर दाखिल होते ही, उन्हें एक अजीब-सी ठंडक महसूस हुई, जो उनके रोंगटे खड़े कर देने के लिए काफी थी। हवेली के विशाल दरवाजे और खिड़कियां किसी अनजान ताकत के वश में लग रहे थे।