डरावनी रातें: भयानक हिंदी कहानियाँ! Short Horror Stories in Hindi

पढ़िए भयानक हिंदी कहानियाँ, जिसमें हर कहानी एक अलग डरावनी रात की कहानी बयां करती है। हवेली, झील, महल, जंगल और घाटी के अंधेरे रहस्यों के बारे में जानिए और एक भयानक अनुभव का सामना कीजिए।

डरावनी रातें: भयानक हिंदी कहानियाँ! Shor...

कहानी 1: विपरीत हवेली

रघुनाथ और सारिका को रहस्यमयी और पुरानी जगहों की ओर एक अनजानी खिंचाव था। उन्होंने सुना था कि पुराने किले, मंदिर और हवेलियाँ अक्सर किसी न किसी रहस्य को छुपाए रहती हैं। एक दिन, उनकी जिज्ञासा उन्हें उस प्राचीन हवेली तक ले आई, जिसके बारे में गांव में तरह-तरह की बातें कही जाती थीं। इस हवेली का नाम लेते ही गांव वालों की आवाज़ में डर साफ झलकता था। कहा जाता था कि रात के अंधेरे में इस हवेली में कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं, जिन्हें कोई भी तर्क समझ नहीं पाता।

रघुनाथ और सारिका ने इस डर को महज़ अफवाह समझा और उस हवेली में रात बिताने का निश्चय कर लिया। जैसे ही सूरज ढला और रात का सन्नाटा हवेली पर छा गया, हवेली का हर कोना एक अलग ही कहानी सुनाने लगा। अंदर दाखिल होते ही, उन्हें एक अजीब-सी ठंडक महसूस हुई, जो उनके रोंगटे खड़े कर देने के लिए काफी थी। हवेली के विशाल दरवाजे और खिड़कियां किसी अनजान ताकत के वश में लग रहे थे।

जैसे ही आधी रात का समय हुआ, हवेली के भीतर अजीब-सी आवाजें गूंजने लगीं। दीवारों पर टंगी पुरानी तस्वीरें अचानक हिलने लगीं और एक तस्वीर के नीचे से एक चमकता हुआ चेहरा उभरने लगा, मानो वह उन्हें घूर रहा हो। रघुनाथ और सारिका ने पास जाकर देखा, तो पाया कि वह चेहरा धीरे-धीरे और साफ हो रहा था। जैसे-जैसे वे उस चेहरे के करीब आए, उन्हें महसूस हुआ कि वे अकेले नहीं हैं; हवेली के हर कोने में कोई अदृश्य शक्ति सक्रिय हो रही थी।

अचानक, हवेली की दीवारों पर अजीबो-गरीब चित्र उभरने लगे, मानो कोई अनदेखा हाथ उन्हें खींच रहा हो। तभी, एक काले साये ने उन्हें घेर लिया और हवेली की हवा अचानक से भारी हो गई। रघुनाथ और सारिका ने तुरंत वहां से भागने की कोशिश की, लेकिन दरवाजे अपने आप बंद हो गए, जैसे कोई उन्हें कैद करना चाहता हो। हवेली की डरावनी ताकतों ने उन्हें घेर लिया था और उनकी चीखें हवेली की मोटी दीवारों में दबकर रह गईं।

अगली सुबह, जब गांव वालों ने हवेली में जाकर देखा, तो वहां रघुनाथ और सारिका का कोई भी निशान नहीं मिला। हवेली की इस घटना ने गांव वालों के दिलों में और भी खौफ भर दिया था। अब कोई भी उस हवेली के पास जाने की हिम्मत नहीं करता, खासकर रात के समय। हवेली का रहस्य और भी गहरा हो गया था और वहां जो कुछ भी हुआ, वह अब तक अनसुलझा ही है।

कहानी 2: अंधेरी झील

सौरभ और अनामिका का रोमांच की ओर झुकाव उन्हें अक्सर ऐसी जगहों पर ले जाता था, जहां साधारण लोग जाने से कतराते थे। इस बार उनकी मंजिल थी एक सुनसान झील, जिसके बारे में गांव के लोग कहते थे कि वहां रात के समय कुछ रहस्यमयी घटनाएं घटती हैं। गांव वालों ने उन्हें चेतावनी भी दी थी, लेकिन सौरभ और अनामिका ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और झील के किनारे रात बिताने का निर्णय कर लिया।

रात का अंधेरा गहराता गया और झील के चारों ओर एक अजीब-सी खामोशी छा गई। हवा की हल्की सरसराहट के साथ, झील का पानी पूरी तरह शांत था, मानो कोई अनदेखी ताकत उस पर नजर रख रही हो। सौरभ और अनामिका ने एक आग जलाकर खुद को थोड़ा सुरक्षित महसूस किया, लेकिन भीतर कहीं एक अनजाना डर दोनों के मन में छाया हुआ था।

जैसे ही आधी रात का समय हुआ, झील के पानी में अचानक अजीब सी हलचल शुरू हो गई। सौरभ ने देखा कि पानी में एक काला धब्बा धीरे-धीरे उभर रहा है। वह धब्बा एक चेहरे का आकार लेने लगा और उसकी आंखों में एक भयानक चमक थी। अनामिका के शरीर में एक सिहरन दौड़ गई और उसकी सांसें थमने लगीं। वह चेहरा धीरे-धीरे उनके करीब आता गया और उसके पीछे से एक काला साया उभरने लगा, मानो वह झील के गहरे पानी से बाहर निकल रहा हो।

सौरभ और अनामिका ने झील से भागने की कोशिश की, लेकिन ऐसा लगा कि पानी का वह चेहरा उन्हें अपनी ओर खींच रहा हो। हर कदम पर झील की लहरें उन्हें रोकने की कोशिश कर रही थीं और काले साये ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया। उनका हर

सौरभ और अनामिका का एडवेंचर के प्रति आकर्षण उन्हें एक बार फिर एक अज्ञात जगह पर ले आया—एक सुनसान झील, जिसकी रहस्यमयी कहानियों ने उन्हें चुनौती दी। गांव वालों की कई चेतावनियों के बावजूद, उन्होंने झील के किनारे रात बिताने का फैसला किया।

जैसे ही रात गहरी होती गई, झील के आसपास की हवा में एक अजीब-सा सन्नाटा पसरने लगा। चारों ओर घना अंधेरा था और झील का पानी बिल्कुल शांत, मानो वह कुछ बड़ा छुपा रहा हो। आग जलाकर सौरभ और अनामिका ने खुद को थोड़ा सुरक्षित महसूस किया, लेकिन उनके दिलों में डर की एक अनकही परछाई मंडराने लगी थी।

रात के बीचों-बीच, अचानक झील के पानी में हलचल शुरू हुई। सौरभ ने देखा कि पानी के बीच से एक काला धब्बा उभर रहा है, जो धीरे-धीरे एक भयानक चेहरे का रूप ले रहा था। उसकी आंखों में एक भयानक चमक थी और अनामिका का शरीर डर से कांपने लगा। वह चेहरा जैसे ही और करीब आया, उसके पीछे से एक काले साये ने आकार लेना शुरू किया, जो धीरे-धीरे झील की गहराई से बाहर आ रहा था।

सौरभ और अनामिका ने तुरंत वहां से भागने की कोशिश की, लेकिन ऐसा लगा जैसे झील का पानी उन्हें अपनी ओर खींच रहा हो। हर कदम पर उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि झील की लहरें उन्हें रोकने की कोशिश कर रही हैं और वह काला साया उन्हें अपने घेरे में लेने की पूरी कोशिश कर रहा था।

कहानी 3: हवेली का रहस्य

सिद्धार्थ और रिया ने एक सुनसान गांव में स्थित पुरानी हवेली में रात बिताने का फैसला किया। हवेली के बारे में कहा जाता था कि वहां रात के समय कुछ अजीब घटनाएं घटती हैं। सिद्धार्थ और रिया ने इसे सिर्फ एक पुरानी कहानी मानते हुए हवेली में रात बिताने का निश्चय किया।

रात ढलते ही हवेली के हर कोने में अजीब सा सन्नाटा छा गया। हवेली की दीवारों पर कुछ अजीब से आकृतियाँ उभरने लगीं और हवा में एक ठंडक सी महसूस होने लगी। दोनों ने देखा कि हवेली के अंधेरे कोनों में कुछ हलचल हो रही है जैसे कोई अदृश्य शक्ति सक्रिय हो।

अचानक, हवेली के दरवाजे और खिड़कियाँ अपने आप बंद हो गईं। बाहर का रास्ता अचानक गायब हो गया और एक काले, घने धुएं ने उन्हें घेर लिया। सिद्धार्थ और रिया ने हवेली से बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन हर बार जैसे ही वे एक दरवाजे तक पहुँचते, वह दरवाजा बंद हो जाता।

तब, हवेली के एक कोने से एक बासुकी की तरह की आवाज आई। उस आवाज ने उनकी रूह को हिला दिया। वे दोनों भयभीत हो गए, लेकिन बाहर जाने का कोई रास्ता नहीं था। अंततः जब उन्होंने घबराहट में अंतिम प्रयास किया, तो अचानक सब कुछ शांत हो गया।

अगली सुबह, गांव वाले हवेली की जांच करने पहुँचे। सिद्धार्थ और रिया का कोई भी निशान नहीं मिला। हवेली अब भी अपनी दहशत भरी रहन-सहन के साथ खड़ी है और लोग आज भी वहां रात बिताने से डरते हैं। हवेली का रहस्य अब भी अनसुलझा है और कोई भी उस रात का सच जानने की हिम्मत नहीं जुटा पाता।

कहानी 4: सियारों का वन

नारायण और नीरजा का रोमांच की तलाश में पुराने जंगलों की ओर खिंचाव कोई नई बात नहीं थी। वे दोनों हमेशा से उन जगहों की खोज में रहते थे, जिनके बारे में लोग बातें करने से भी डरते थे। इस बार उनकी मंज़िल थी वह घना और रहस्यमयी जंगल, जिसके बारे में गांव में कई भयानक कहानियाँ मशहूर थीं। वहां रात बिताने की सोची, तो गांव वालों ने उन्हें रोकने की पूरी कोशिश की। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि रात के अंधेरे में उस जंगल में अजीबोगरीब घटनाएं होती हैं, लेकिन नारायण और नीरजा ने इस डर को एक चुनौती के रूप में लिया।

जैसे ही वे जंगल के अंदर पहुंचे, आसमान में बादल घिर आए और जंगल में एक अजीब सी खामोशी छा गई। नारायण और नीरजा ने खुद को साहसी साबित करने के लिए अंदर तक जाने का फैसला किया, लेकिन जैसे-जैसे वे आगे बढ़ते गए, जंगल की चुप्पी भयावह होती गई। हवा में एक अजीब सी गंध थी और पेड़ों की शाखाएँ मानो उनकी ओर झुककर उन्हें देख रही थीं।

रात का पहला पहर जैसे ही बीता, जंगल के बीचों-बीच एक रहस्यमयी काले साये ने उभरना शुरू कर दिया। नारायण ने हिम्मत करके इधर-उधर देखा, लेकिन अंधेरा इतना गहरा था कि कुछ भी साफ नज़र नहीं आ रहा था। तभी, दूर से सियारों की भयावह चीखें गूंजने लगीं, जैसे वे किसी अनहोनी की सूचना दे रहे हों। नीरजा ने महसूस किया कि उनके आसपास की हवा अचानक ठंडी हो गई है, जैसे कोई अदृश्य शक्ति उन्हें अपनी ओर खींच रही हो।

सियारों का झुंड धीरे-धीरे करीब आने लगा, उनकी चमकती आँखें अंधेरे में चमक रही थीं। नारायण और नीरजा ने भागने की कोशिश की, लेकिन ऐसा लगा जैसे जंगल की गहराइयाँ उन्हें अपनी ओर खींच रही थीं। उनके कदम जैसे भारी हो गए थे और हर दिशा में अजीब आवाजें गूंजने लगीं।

सुबह होते ही, जब गांव वाले जंगल की तरफ गए, तो उन्हें सिर्फ नारायण और नीरजा का बिखरा हुआ सामान मिला। जंगल के बारे में अब भी कई सवाल बाकी थे और उसके रहस्य अब और भी गहरे हो गए थे। गांव के लोग अब उस जंगल का नाम लेते हुए भी कांपते थे और कोई भी वहां रात बिताने की हिम्मत नहीं कर रहा था।

कहानी 5: भूतिया घाटी

धीरज और रितु ने हमेशा से रहस्यमयी और डरावनी जगहों का अनुभव लेने की चाहत रखी थी। एक दिन, उन्हें एक पुरानी किताब में एक घाटी का जिक्र मिला, जो अपने भूतिया रहस्यों के लिए मशहूर थी। यह घाटी साधारण पर्यटकों के लिए नहीं थी और गांव वाले भी इसे "भूतों की घाटी" कहते थे। इसके बावजूद, धीरज और रितु ने इस घाटी की सच्चाई जानने का फैसला किया और एक सर्द रात में वहां पहुंचे।

रात का अंधेरा गहराते ही, घाटी की वीरानी में एक विचित्र हलचल शुरू हो गई। हवा में अजीब सी सरसराहट और पत्तों की सरकने की आवाजें सुनाई देने लगीं। कुछ देर बाद, धीरज को ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई उनके पीछे खड़ा हो, लेकिन जब उन्होंने मुड़कर देखा, तो वहां कुछ नहीं था। वे दोनों समझ गए थे कि वे अब सिर्फ एक अनजान जगह पर नहीं थे, बल्कि एक ऐसी जगह पर थे जहां कुछ अदृश्य ताकतें हावी थीं।

जैसे-जैसे रात बीतती गई, घाटी का रहस्य और भी गहराता गया और उन दोनों को एहसास हुआ कि शायद उन्होंने इस जगह को चुनौती देकर एक भयानक गलती कर दी थी। अगले ही पल, जब एक तेज़ ठंडी हवा ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया, वे समझ गए कि उन्हें यहां से जितना जल्दी हो सके निकलना होगा। लेकिन घाटी ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया और उनकी चीखें अंधेरे में गुम हो गईं।

सुबह होते ही, जब गांव वालों ने धीरज और रितु के बारे में पूछा, तो उन्हें सिर्फ उनकी कार और कुछ सामान ही मिला। अब तक, कोई नहीं जानता कि उस रात क्या हुआ था, लेकिन गांव वाले कहते हैं कि भूतिया घाटी ने अपने रहस्यों में दो और लोगों को समा लिया है।

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