एक बार की बात है। रोज़ की तरह बादशाह अकबर अपने दरबार में बैठे हुए थे और प्रजा की समस्याएँ सुन रहे थे। लोग अपनी-अपनी परेशानियाँ लेकर बादशाह के सामने हाज़िर हो रहे थे। तभी रामदीन और माधव नाम के दो पड़ोसी भी अपनी समस्या लेकर दरबार में पहुँचे। दोनों के बीच झगड़े की वजह था उनके घरों के बीच खड़ा एक आम का पेड़, जो फलों से लदा हुआ था। दोनों इस पेड़ पर अपना हक जता रहे थे। रामदीन कह रहा था कि पेड़ उसका है और माधव झूठ बोल रहा है, जबकि माधव का दावा था कि वही पेड़ का असली मालिक है और रामदीन झूठा है।

यह मामला बहुत उलझा हुआ था। दोनों में से कोई भी हार मानने को तैयार नहीं था। बादशाह अकबर ने दोनों की बातें ध्यान से सुनीं और फिर इस जटिल समस्या को सुलझाने का जिम्मा अपने नवरत्नों में से एक, बीरबल को सौंप दिया। बीरबल ने मामले को समझने के लिए एक चालाक योजना बनाई।