चिंपू की चालाकी

चिंपू नाम की एक चतुर चिम्पैंजी चिड़ियाखाने में रहती थी. हर दिन उसे वही लोहे के पिंजरे का नजारा, वही घूमने आने वाले शोरगुल वाले लोग और वही बचे हुए फल और सब्जियां मिलती थीं. चिंपू इससे ऊब चुकी थी. उसे जंगल की खुली हवा, ऊंचे पेड़ों पर चढ़ना और स्वादिष्ट मेवे खाना याद आता था.

एक दिन चिंपू ने देखा कि चिड़ियाखाने का एक रखवाला अपना खाना खुलेआम रखकर पिंजरे की सफाई कर रहा था. चिंपू के दिमाग में एक चाल आया. उसने अपने पिंजरे के कोने में रखे एक पत्थर को उठाया और ध्यान से निशाना लगाकर रखवाले के सिर पर दे मारा. रखवाला चीखते हुए वहां से भागा.