चाय वाली दादी

दिल्ली की पुरानी गलियों में, एक छोटी सी चाय की दुकान थी। इसे चलाती थीं दादी अमीना। दादी अमीना कोई साधारण चाय वाली नहीं थीं। उनकी चाय की खुशबू ही दूर से लोगों को अपनी ओर खींच लेती थी। लेकिन उनकी दुकान सिर्फ चाय के लिए ही नहीं, बल्कि लोगों के लिए मेल-जोल का चौराहा भी बन गई थी.

सुबह के वक्त ऑफिस जाने वाले लोग दादी की चाय पीकर ही दिन की शुरुआत करते थे। शाम को दुकान पर ऑफिस की थकान मिटाने और गप्पे शॉप करने का सिलसिला चलता रहता था। दादी अमीना हर किसी की कहानी सुनती थीं, उनकी परेशानियों में हिम्मत देती थीं और खुशियों में उनके साथ हंसती थीं।