मीरा और चैतन्य महाप्रभु

मीरा एक राजकुमारी थीं, लेकिन उनका मन राजमहल के वैभव में नहीं, कृष्ण भक्ति में रमता था। बचपन से ही कृष्ण के प्रति उनकी अगाध श्रद्धा जग चुकी थी। राजकुमारी होते हुए भी उन्हें दरबारी रीति-रिवाजों में कोई रुचि नहीं थी, बल्कि हर समय कृष्ण के नाम का गुणगान करती रहती थीं।

एक दिन, मीरा की मुलाकात प्रसिद्ध संत चैतन्य महाप्रभु से हुई। चैतन्य महाप्रभु मीरा की भक्ति से अत्यंत प्रभावित हुए। उन्होंने मीरा को कृष्ण भक्ति का सच्चा मार्ग दिखाया और कृष्ण प्रेम में लीन रहने का उपदेश दिया।