गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म और प्रारंभिक जीवन
गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म पौष सुदी सप्तमी, संवत् 1723 विक्रमी (22 दिसंबर 1666) को पटना साहिब में हुआ। उनके पिता गुरु तेग बहादुर जी (सिखों के नौवें गुरु) और माता गुजरी जी थीं। उनका जन्म नाम गोविंद राय था। बचपन से ही उन्होंने शस्त्र विद्या, घुड़सवारी और विभिन्न भाषाओं व धार्मिक ग्रंथों का गहन अध्ययन किया।
गुरु गद्दी पर विराजमान होना
1675 ईस्वी में मुगल शासन के अत्याचारों के विरोध में गुरु तेग बहादुर जी को शहीद कर दिया गया। इसके बाद मात्र नौ वर्ष की आयु में गुरु गोविंद सिंह जी को गुरु गद्दी सौंपी गई। इतनी कम उम्र में उन्होंने नेतृत्व संभालकर सिख समुदाय को नई दिशा दी।
खालसा पंथ की स्थापना
1699 में बैसाखी के दिन गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की। उन्होंने पांच प्यारों को अमृत छकाकर “पांच ककार” धारण करने का आदेश दिया – केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण। इससे सिख धर्म को नई पहचान और शक्ति मिली।
मुगलों से संघर्ष
गुरु गोविंद सिंह जी ने धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए मुगलों से कई युद्ध लड़े। आनंदपुर साहिब की रक्षा, चमकौर की लड़ाई और ख़िदराना (मुक्तसर) की लड़ाई उनकी वीरता के प्रतीक हैं। इन संघर्षों में उनके दो बड़े साहिबजादे बाबा अजीत सिंह जी और बाबा जुझार सिंह जी शहीद हो गए।
हुक्मनामा और संगठन
आनंदपुर छोड़ने के बाद गुरु जी ने अपने अनुयायियों को संगठित करने के लिए हुक्मनामा जारी किया। इस पत्र में उन्होंने सिखों से धर्म और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। यह हुक्मनामा सिख इतिहास का प्रेरणादायक दस्तावेज है।
साहित्यिक और रचनात्मक योगदान
गुरु गोविंद सिंह जी न केवल योद्धा थे बल्कि एक महान कवि और लेखक भी थे। उन्होंने दशम ग्रंथ की रचना की, जिसमें उनकी शिक्षाएँ, कविताएँ और युद्धों का वर्णन मिलता है। इस ग्रंथ ने सिख धर्म की आध्यात्मिक धरोहर को समृद्ध किया।
दुखद अंत
7 अक्टूबर 1708 को नांदेड़ (महाराष्ट्र) में गुरु गोविंद सिंह जी ने देह त्याग किया। इसके बाद उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब को ही सिखों का शाश्वत गुरु घोषित किया।
गुरु गोविंद सिंह जी की विरासत
गुरु गोविंद सिंह जी का योगदान सिख इतिहास में अमिट है।
- खालसा पंथ की स्थापना करके सिखों को नई पहचान दी।
- मुगलों के अत्याचारों का डटकर मुकाबला किया और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा की।
- कविताओं और शिक्षाओं के माध्यम से समाज को प्रेरित किया।
- सामाजिक समानता पर बल दिया और जाति-पाति का विरोध किया।
वे सिख धर्म के महान योद्धा, आध्यात्मिक गुरु और सुधारक के रूप में सदैव याद किए जाते हैं।
गुरु गोविंद सिंह जी से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ
| जन्म | पटना साहिब, 1666 ईस्वी |
| जन्म नाम | गोविंद राय |
| पिता | गुरु तेग बहादुर जी |
| गुरु गद्दी | 1675 ईस्वी |
| मुख्य उपलब्धि | खालसा पंथ की स्थापना (1699 ईस्वी) |
| पांच ककार | केश, कंघा, कड़ा, कच्छा, कृपाण |
| महत्वपूर्ण युद्ध | आनंदपुर साहिब की रक्षा, चमकौर की लड़ाई, ख़िदराना की लड़ाई |
| साहित्य | दशम ग्रंथ की रचना |
| मृत्यु | नांदेड़, 1708 ईस्वी |
| विरासत | सिखों को नई पहचान, धार्मिक स्वतंत्रता और समानता का संदेश |

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