25 दिसंबर क्यों मनाया जाता है? जानें क्रिसमस के पीछे की वजहें और रोचक तथ्य
25 दिसंबर को क्रिसमस क्यों मनाया जाता है? जानें इस दिन से जुड़ी धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक वजहें, और कैसे यह दिन प्रेम, शांति और भाईचारे का प्रतीक बना।

रोचक तथ्य Last Update Wed, 25 December 2024, Author Profile Share via
25 दिसंबर मनाने के पीछे की वजहें
हर साल 25 दिसंबर को दुनिया भर में क्रिसमस (Christmas) का पर्व मनाया जाता है। यह दिन ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए यीशु मसीह के जन्म के रूप में मनाया जाता है, लेकिन यह दिन सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
25 दिसंबर को मनाए जाने वाले इस पर्व की शुरुआत और इसके मनाने के पीछे की कई वजहें हैं, जो इतिहास, संस्कृति और धर्म से जुड़ी हुई हैं। आइए जानते हैं कि 25 दिसंबर को क्यों मनाया जाता है और इसके पीछे क्या कारण हैं।
1. यीशु मसीह का जन्मदिन
क्रिसमस का पर्व सबसे पहले यीशु मसीह के जन्म के अवसर पर मनाया जाता है। यीशु मसीह, जिन्हें ईसाई धर्म में ईश्वर का पुत्र माना जाता है, का जन्म लगभग 2000 साल पहले बैथलहम (अब फिलिस्तीन में) हुआ था। ईसाई धर्म के अनुयायी 25 दिसंबर को यीशु के जन्म को श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाते हैं।
हालांकि, यीशु का जन्म वास्तव में 25 दिसंबर को हुआ था या नहीं, इस पर अलग-अलग रायें हैं, लेकिन चौथी सदी में रोम के सम्राट कांस्टेंटाइन ने 25 दिसंबर को यीशु के जन्मदिन के रूप में मनाने का निर्णय लिया था। इसके बाद से यह दिन क्रिसमस के रूप में मनाया जाने लगा।
2. विंटर सोल्सटिस और सूर्य का पुनर्निर्माण
25 दिसंबर का दिन विंटर सोल्सटिस से जुड़ा हुआ है, जो उत्तरी गोलार्ध में सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होती है। प्राचीन काल में यह दिन सूर्य के पुनः जन्म का प्रतीक माना जाता था, क्योंकि इसके बाद से दिन बढ़ने लगते हैं और रातें छोटी होती हैं।
यही कारण है कि क्रिसमस को एक नए जीवन और आशा का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि यह दिन प्रकाश का आगमन माना जाता है। ईसाई धर्म में, इसे यीशु के जन्म के रूप में देखे जाने लगा, जो दुनिया में उजाला लाने के लिए आए थे।
3. सांस्कृतिक परंपराएँ और त्योहारों का संगम
क्रिसमस का दिन न केवल ईसाई धर्म का पर्व है, बल्कि यह बहुत सी पुरानी पगान (पगन) परंपराओं का मिश्रण भी है। रोम में प्राचीन समय में संतों की पूजा और सर्दियों के मौसम में धूप और रोशनी का उत्सव मनाने की परंपरा थी। इन्हीं परंपराओं को जोड़ते हुए, 25 दिसंबर को क्रिसमस के रूप में मनाना शुरू किया गया।
कई प्राचीन सभ्यताओं में सूर्य देवता को विशेष स्थान दिया जाता था, और इस दिन सूर्य की शक्ति का पुनः जागरण देखा जाता था। इसीलिए, इस दिन को त्योहारों का और शुभ अवसरों का दिन माना जाता है।
4. सांता क्लॉज का अस्तित्व
क्रिसमस से जुड़ी एक और महत्वपूर्ण परंपरा है सांता क्लॉज। सांता क्लॉज की परंपरा का संबंध सेंट निकोलस से है, जो चौथी सदी में ग्रीस के मायरा (अब तुर्की में) के एक बिशप थे। वे गरीबों और बच्चों के लिए गुप्त रूप से उपहार भेजने के लिए प्रसिद्ध थे।
समय के साथ, इस परंपरा को सांता क्लॉज के रूप में आधुनिक रूप दिया गया, जो बड़े अच्छे मूड में बच्चों को उपहार देता है। अब, सांता क्लॉज क्रिसमस के एक महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में दिखाई देते हैं और यह क्रिसमस के उल्लास और खुशी का प्रतीक बन गए हैं।
5. परिवार और समाज को एकजुट करने का अवसर
क्रिसमस का दिन न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह परिवार और समुदाय को एकजुट करने का भी अवसर है। इस दिन लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं, उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं, और एक-दूसरे से प्रेम और सौहार्द की भावना साझा करते हैं।
यह दिन समाज में शांति और प्रेम फैलाने का भी समय होता है। क्रिसमस पर चर्चों में प्रार्थनाएँ होती हैं, और लोग समाज के गरीब और जरूरतमंद लोगों को दान देते हैं।
6. एक नए साल की शुरुआत का प्रतीक
क्रिसमस के ठीक बाद नया साल आता है, और इस समय को एक नए आरंभ के रूप में देखा जाता है। 25 दिसंबर से लेकर नए साल की शुरुआत तक का समय उत्सवों और उत्साह से भरा होता है। लोग पुराने साल को अलविदा कहते हैं और नए साल की शुरुआत को खुशी और उम्मीद के साथ मनाते हैं।
यह समय होता है जब लोग अपने पुराने दुखों और परेशानियों को पीछे छोड़कर नई उम्मीदों और लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ने का संकल्प लेते हैं।
7. क्रिसमस के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
25 दिसंबर का दिन सिर्फ एक सांस्कृतिक और सामाजिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह ईसाई धर्म के लिए अत्यधिक धार्मिक महत्व रखता है। यीशु मसीह के जन्म को दुनिया में अच्छाई और सत्य के आगमन के रूप में देखा जाता है। वह प्रेम, शांति, और ईश्वर के प्रति आस्था का संदेश देने के लिए आए थे।