ज्योतिर्मय विचार: इमैनुएल कांट के दर्शन से जीवन को नई दिशा दें! Philosophy and Thoughts by Immanuel Kant in Hindi

क्या आप कभी अस्तित्व, नैतिकता और सत्य के सवालों से जूझते हैं? जर्मन दार्शनिक इमैनुएल कांट के ज्योतिर्मय विचारों में इन सवालों के जवाब मिल सकते हैं।

ज्योतिर्मय विचार: इमैनुएल कांट के दर्शन...

इमैनुएल कांत द्वारा प्रेरणादायक उद्धरण

1. हम यह पूछने का साहस करें कि मैं क्या जान सकता हूं, मुझे क्या करना चाहिए, और मैं किस लिए आशा कर सकता हूं? (Have the courage to ask what I can know, what I ought to do, and what I may hope for?)

यह उद्धरण हमें आत्म-मूल्यांकन और आत्म-विकास के लिए प्रेरित करता है। यह ज्ञान, नैतिकता और आशावाद के महत्व को दर्शाता है।

2. दो चीजें हमें कभी विस्मित करना बंद नहीं करती हैं - तारों भरा आकाश ऊपर और नैतिक कानून हमारे भीतर। (Two things fill the mind with ever new and increasing wonder and awe, the starry heaven above me and the moral law within me.)

यह उद्धरण ब्रह्माण्ड की महानता और हमारे भीतर विद्यमान नैतिकता के बारे में बात करता है। यह हमें दोनों की सराहना करने के लिए प्रेरित करता है।

3. असफलता का रास्ता बहुत ही आसान है; इसमें केवल निष्क्रियता और जड़ता की आवश्यकता होती है। (The road to mediocrity is easy; it requires nothing but inactivity and a little vanity.)

यह उद्धरण हमें निष्क्रियता से बचने और लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रयास करते रहने के लिए प्रेरित करता है।

4. जो लोग सोचते नहीं हैं वे दूसरों के विचारों के दास होते हैं। (Those who do not think for themselves are slaves to the thoughts of others.)

यह उद्धरण स्वतंत्र चिंतन और स्वयं निर्णय लेने के महत्व को रेखांकित करता है।

5. हर व्यक्ति अपने आप में एक अंत्य है, न कि केवल साधन। (Every man is an end in himself, not merely a means.)

यह उद्धरण बताता है कि हर व्यक्ति का अपना महत्व है और दूसरों के स्वार्थ के लिए उनका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

6. शिक्षा वह नहीं है जो आप सीखते हैं स्कूल में, बल्कि वह है जो आपको तब काम आती है जब आप सब कुछ भूल जाते हैं जो आपने स्कूल में सीखा था। (Education is not what you learn at school. Education is what remains after you forget what you learned at school.)

यह उद्धरण सच्ची शिक्षा के महत्व को दर्शाता है, जो जीवन भर काम आती है।

7. खुद को बेहतर बनाने का प्रयास ही सच्ची प्रगति है। (To improve is to exist.)

यह उद्धरण निरंतर विकास और सुधार की आवश्यकता पर बल देता है।

Thought: "Dare to know! Have the courage to use your own understanding."
Quote: "जानने का साहस करो! अपनी समझ का उपयोग करने का साहस रखो।"

Thought: "Science is organized knowledge. Wisdom is organized life."
Quote: "विज्ञान संगठित ज्ञान है। बुद्धिमत्ता संगठित जीवन है।"

Thought: "Act only according to that maxim whereby you can, at the same time, will that it should become a universal law."
Quote: "केवल उसी सिद्धांत के अनुसार कार्य करो जिसके द्वारा तुम एक ही समय में यह इच्छा कर सकते हो कि यह एक सार्वभौमिक नियम बन जाए।"

Thought: "Enlightenment is man's emergence from his self-imposed immaturity."
Quote: "प्रबोधन मनुष्य का अपनी स्वयं की थोपी गई अपरिपक्वता से उभरना है।"

Thought: "Experience without theory is blind, but theory without experience is mere intellectual play."
Quote: "अनुभव बिना सिद्धांत के अंधा है, लेकिन सिद्धांत बिना अनुभव के केवल बौद्धिक खेल है।"

Thought: "Live your life as though your every act were to become a universal law."
Quote: "अपना जीवन ऐसे जियो जैसे तुम्हारा हर कार्य एक सार्वभौमिक नियम बन जाए।"

Thought: "Morality is not the doctrine of how we may make ourselves happy, but how we may make ourselves worthy of happiness."
Quote: "नैतिकता यह सिद्धांत नहीं है कि हम खुद को कैसे खुश कर सकते हैं, बल्कि यह है कि हम खुद को खुशी के योग्य कैसे बना सकते हैं।"

Thought: "Two things fill the mind with ever-increasing wonder and awe, the more often and the more intensely we reflect on them: the starry heavens above me and the moral law within me."
Quote: "दो चीजें मन को निरंतर बढ़ती हुई आश्चर्य और श्रद्धा से भर देती हैं, जितनी बार और जितनी गहराई से हम उनके बारे में सोचते हैं: मेरे ऊपर तारों भरा आकाश और मेरे भीतर का नैतिक कानून।"

Thought: "In law, a man is guilty when he violates the rights of others. In ethics, he is guilty if he only thinks of doing so."
Quote: "कानून में, एक व्यक्ति तब दोषी होता है जब वह दूसरों के अधिकारों का उल्लंघन करता है। नैतिकता में, वह तब भी दोषी होता है जब वह केवल ऐसा करने के बारे में सोचता है।"

Thought: "The only objects of practical reason are therefore those of good and evil. For by the former we understand that which is necessarily the object of desire according to a principle of reason; and by the latter that which is necessarily the object of aversion, also according to a principle of reason."

Quote: "व्यवहारिक बुद्धि के एकमात्र उद्देश्य अच्छाई और बुराई हैं। क्योंकि पहले के द्वारा हम उस चीज़ को समझते हैं जो आवश्यक रूप से तर्क के सिद्धांत के अनुसार इच्छा का विषय है; और दूसरे के द्वारा उस चीज़ को जो आवश्यक रूप से घृणा का विषय है, यह भी तर्क के सिद्धांत के अनुसार।"
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