चतुर बंदर और जंगल का राजपाट! A Short Story of Monkey in Hindi

Short Story of Monkey in Hindi: इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि किसी को उसकी बाहरी विशेषताओं या चतुराई के आधार पर नहीं, बल्कि उसकी वास्तविक योग्यता और क्षमताओं के आधार पर चुनें।

चतुर बंदर और जंगल का राजपाट! A Short Story of Monkey in Hindi

चतुर बंदर और जंगल का राजपाट (Short Story)

जंगल में एक हलचल थी। शेर के शासन से ऊबे जानवर अब खुद अपना राजा चुनना चाहते थे। एक बड़ी सभा बुलाई गई, जहाँ हर कोई अपनी राय रखने को बेताब था।

"शेर तो बस अपनी ताकत के बल पर राज करता है," एक हिरण ने अपनी व्यथा सुनाई, "हमें ऐसा राजा चाहिए जो दयालु हो, जो हमारी बात सुने।"

"हाँ, और जो हमारी रक्षा भी कर सके," एक खरगोश ने अपनी बात जोड़ी, "हमेशा शेर के डर से जीना अच्छा नहीं लगता।"

"हाथी को राजा क्यों नहीं बना देते?" एक भालू ने सुझाव दिया, "वो ताकतवर भी है और समझदार भी।"

"लेकिन वो धीमा है," एक चीते ने आपत्ति जताई, "अगर कोई खतरा आया तो क्या होगा?"

तभी बंदर ने अपनी फुर्ती दिखाते हुए एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर छलांग लगाई और बोला, "हाथी तो दौड़ भी नहीं सकता, अगर कोई खतरा आया तो क्या करेगा? मुझे राजा बनाओ, मैं तेज़ भी हूँ और पेड़ों पर भी चढ़ सकता हूँ। मैं दिन-रात आपके लिए मेहनत करूंगा, भाग-दौड़ करूंगा।"

बंदर की बातों ने मानो सबके दिलों में एक स्वर भर दिया था "हाँ"

एक गूँज उठी, "यह सच है! बंदर की फुर्ती बेमिसाल है। घने जंगल के इस छोर से उस छोर तक, पलक झपकते ही पहुँच सकता है। और ऊँचे पेड़ों से, वह हम सब पर एक नज़र रख सकेगा, मानो जंगल का एक पहरेदार हो।" एक बूढ़े भालू ने अपनी सहमति जताई, और इस तरह, एकमत से, बंदर को जंगल का राजा चुना गया।

राजा बनते ही बंदर को लगा जैसे वह हवा में उड़ रहा हो। वह कभी किसी को फल तोड़ने भेजता, तो कभी किसी को पानी पिलाने का हुक्म देता। बंदर के दिन मज़े में कट रहे थे।

एक दिन की बात है, जंगल में शेर एक हिरण के बच्चे को उठा ले गया। यह बात जंगल में आग की तरह फैल गई। सभी ने बंदर राजा के पास जाने का फैसला किया और जाकर शेर की इस हरकत को बंदर राजा के सामने रखा। बंदर राजा ने गुस्से में कहा, "उस शेर की ऐसी मजाल जो मेरे प्रजा के साथ ऐसा करे!" उसने ज़ोर से दूसरे पेड़ पर छलांग लगाई, फिर दूसरे से तीसरे पेड़ पर, तीसरे से चौथे, कभी ज़मीन पर तो कभी पेड़ पर।

काफ़ी देर तक राजा को ऐसा करते देख जंगल के जानवरों ने बंदर से पूछा, "आप ये क्या कर रहे हो?" बंदर ने बातों की अनदेखी करते हुए इस पेड़ से उस पेड़ पर छलांग लगाता रहा। जब बंदर को ऐसा करते हुए काफ़ी देर हो गई तो सभी जानवरों ने कहा, "अरे हिरण के बच्चे को बचाना है, ये क्या कर रहे हो?" 

बंदर एक पेड़ से लटकते हुए बोला, "मेरी कोशिश में कोई कमी हो तो बताना, मैं पूरी मेहनत कर रहा हूँ।" मैंने कहा था ना मैं बहुत मेहनत करूंगा, भाग-दौड़ करूंगा हिरण का बच्चा बचे या ना बचे, मुझे क्या?

सभी जानवर बंदर राजा की इस बेरुखी पर स्तब्ध रह गए। उन्हें समझ आ गया था कि सिर्फ दिखावे से या बिना सोचे समझे की गई मेहनत का कोई फायदा नहीं होता। असली राजा वो होता है जो ज़रूरत के समय अपने लोगों की रक्षा करे, ना कि सिर्फ अपनी बातों से उन्हें बहलावे।
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सीख (Moral)

दिखावा कभी काम नहीं आता। हमें हमेशा सोच समझकर और सही दिशा में मेहनत करनी चाहिए, तभी उसका फल मिलता है।

यहाँ इस कहानी से मिलने वाले कुछ और नैतिक मूल्य हैं:

सोच-समझकर निर्णय लें: किसी भी निर्णय पर पहुँचने से पहले, सभी विकल्पों का मूल्यांकन करें और संभावित परिणामों पर विचार करें। जल्दबाजी में लिए गए फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं।

योग्यता को महत्व दें: किसी को उसकी बाहरी विशेषताओं या चतुराई के आधार पर नहीं, बल्कि उसकी वास्तविक योग्यता और क्षमताओं के आधार पर चुनें।

अनुभव और बुद्धिमत्ता का सम्मान करें: अनुभवी और बुद्धिमान लोगों की सलाह को हमेशा महत्व दें। वे अक्सर ऐसी अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं जो दूसरों को नज़र नहीं आतीं।

बाहरी दिखावे पर न जाएँ: किसी व्यक्ति या स्थिति का आकलन उसके बाहरी दिखावे के आधार पर न करें। अक्सर चीज़ें जैसी दिखती हैं, वैसी होती नहीं हैं।

Comments (1)

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  • Deepak
    Aug 16, 2024 02:50
    Interesting story