ज्वार-भाटा क्या होता है?
समुद्र के पानी का नियमित रूप से ऊपर उठना (High Tide) और नीचे गिरना (Low Tide)। यह दिन में दो बार होता है (लगभग 12 घंटे 25 मिनट के अंतराल पर)।
ज्वार-भाटा क्यों आता है?
मुख्य कारण चंद्रमा और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण है:
चंद्रमा का प्रभाव (70%): पृथ्वी के करीब होने की वजह से इसका खिंचाव ज्यादा होता है।
सूर्य का प्रभाव (30%): दूर होने के बावजूद इसका आकार बड़ा होता है।
दिलचस्प बात:
पूर्णिमा/अमावस्या पर सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में होते हैं → स्प्रिंग टाइड (Spring Tide) → ज्वार सबसे ऊँचा।
अर्धचंद्र (Half Moon) पर तीनों 90° के कोण पर होते हैं → नीप टाइड (Neap Tide) → ज्वार कमजोर।
ज्वार-भाटा के प्रकार:
दैनिक ज्वार (Diurnal Tide): 24 घंटे में एक बार High और Low Tide (जैसे मैक्सिको की खाड़ी)।
अर्ध-दैनिक ज्वार (Semi-Diurnal Tide): दिन में दो बार High-Low Tide (भारत के पूर्वी तट पर)।
मिश्रित ज्वार (Mixed Tide): दोनों का मिश्रण (जैसे प्रशांत महासागर)।
ज्वार-भाटा का महत्व:
ऊर्जा: टाइडल एनर्जी से बिजली बनाई जाती है।
नौवहन: जहाजों के लिए गहरे पानी का इंतजाम।
मछली पकड़ना: मछुआरे High Tide का फायदा उठाते हैं।
मजेदार तथ्य:
बाय ऑफ फंडी (कनाडा) में दुनिया का सबसे ऊँचा ज्वार (16 मीटर तक!) आता है।
चंद्रमा हर साल 3.8 cm पृथ्वी से दूर हो रहा है → भविष्य में ज्वार कमजोर होंगे!
ज्वार-भाटा को प्रभावित करने वाले अन्य कारक:
पृथ्वी का घूर्णन (Rotation): पृथ्वी की घूर्णन गति से ज्वार में असमानताएँ आती हैं।
समुद्र की गहराई और आकृति:
छिछले समुद्र (जैसे सुंदरबन) में ज्वार अधिक ऊँचा होता है।
संकरी खाड़ियाँ (जैसे बाय ऑफ फंडी) ज्वार को बढ़ा देती हैं।
मौसम और हवाएँ:
तूफान या तेज हवाएँ (Storm Surges) अस्थायी रूप से ज्वार को बिगाड़ सकती हैं।
ज्वार-भाटा और जीवन:
समुद्री जीव: कई प्रजातियाँ (जैसे ऑयस्टर, केकड़े) ज्वार चक्र के अनुसार प्रजनन करती हैं।
मैंग्रोव वन: सुंदरबन जैसे इकोसिस्टम ज्वार-भाटा पर निर्भर होते हैं।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व:
प्राचीन नौवहन: फोनीशियन और वाइकिंग्स ने ज्वार का उपयोग यात्राओं के लिए किया।
धार्मिक उत्सव: भारत में संगम (प्रयागराज) और अन्य तीर्थों पर ज्वार का विशेष महत्व है।
भविष्य की तकनीकें:
डायनामिक टाइडल पावर (DTP): समुद्र तल पर टरबाइन लगाकर अधिक ऊर्जा निकालना।
हाइब्रिड सिस्टम: टाइडल + वेव एनर्जी को मिलाकर दक्षता बढ़ाना।
मिथक vs वास्तविकता:
मिथक: "चंद्रमा सीधे पानी को खींचता है।"
सच: चंद्रमा पृथ्वी और पानी दोनों को खींचता है, लेकिन पानी अधिक गतिशील होने से उभर आता है।
ज्वार-भाटा (Tides) के कुछ मज़ेदार, हैरान कर देने वाले तथ्य 🌊😮
1. चंद्रमा से ज़्यादा, सूर्य का असर?
चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण ज्वार पर 70% प्रभाव डालता है, लेकिन सूर्य भी 30% भूमिका निभाता है। पूर्णिमा/अमावस्या पर जब दोनों एक लाइन में आते हैं तो सुपर हाई टाइड (स्प्रिंग टाइड) आता है!
2. पृथ्वी की "झटके" वाली हरकत!
ज्वार-भाटा पृथ्वी के घूर्णन (Rotation) को धीमा कर रहा है! हर साल चंद्रमा पृथ्वी से 3.8 cm दूर जा रहा है जिससे भविष्य में ज्वार कमज़ोर होंगे।
3. बाय ऑफ फंडी का रिकॉर्ड तोड़ ज्वार!
कनाडा की बाय ऑफ फंडी खाड़ी में ज्वार 16.8 मीटर (5 मंजिला इमारत जितना!) ऊँचा उठता है। यहाँ हर दिन 100 बिलियन टन पानी आता-जाता है!
4. "टाइडल बोर" – समुद्र की दीवारें!
कुछ नदियों (जैसे अमेज़न, भारत की हुगली) में ज्वार इतनी तेज़ी से आता है कि 6 मीटर ऊँची लहरें दीवार की तरह चलती हैं! इसे बोर वेव कहते हैं।
5. ज्वार से बदल जाती है पृथ्वी की शक्ल!
ज्वार के कारण पृथ्वी की सतह हर दिन 30-50 cm ऊपर-नीचे होती है! (हाँ, हमें महसूस नहीं होता!)
6. चंद्रमा नहीं होता, तो क्या होता?
अगर चंद्रमा न होता तो ज्वार सिर्फ़ सूर्य के कारण आते और उनकी ऊँचाई मात्र 1 मीटर होती!
7. मछलियों की "टाइडल डायरी"!
कई समुद्री जीव (जैसे प्लैंकटन, ऑयस्टर) ज्वार के समय के अनुसार प्रजनन करते हैं। वैज्ञानिक इसे टाइडल क्लॉक कहते हैं!
8. भारत का सबसे ऊँचा ज्वार कहाँ?
खंभात की खाड़ी (गुजरात) में ज्वार 11 मीटर तक ऊँचा उठता है! यहाँ टाइडल एनर्जी प्लांट बनाने की संभावना है।
9. चाँद पर भी आते हैं ज्वार!
पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण चंद्रमा पर "लूनर टाइड्स" पैदा करता है जिससे चंद्रमा की सतह 30 cm तक खिंचती है!
10. ज्वार भाटा और रामायण का कनेक्शन!
रामसेतु के पास अद्वितीय ज्वार पैटर्न है। कहा जाता है कि रामायण काल में ज्वार ने ही सेतु निर्माण में मदद की थी!
क्या आप जानते थे?
1966 में फ्रांस ने दुनिया का पहला टाइडल पावर प्लांट बनाया जो आज भी चल रहा है!

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