“आसमान से गिरे खजूर में अटके” (Aasman Se Gire Khajoor Mein Atke) एक लोकप्रिय हिंदी मुहावरा है। इसका प्रयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति एक कठिनाई से निकलकर और भी कठिन परिस्थिति में फँस जाता है। यानी, राहत मिलने की बजाय समस्या और बढ़ जाती है।
आसमान से गिरे खजूर में अटके मुहावरे का शाब्दिक अर्थ
जैसे कोई व्यक्ति आसमान से गिरकर खजूर के पेड़ में अटक जाए – तो वह न जमीन पर सुरक्षित उतर पाता है और न ही पेड़ पर आराम पा सकता है। यही स्थिति मुहावरे में दिखाई जाती है: एक मुसीबत से निकलने के बाद दूसरी दिक्कत में फँस जाना।
मुहावरे का दैनिक जीवन में प्रयोग
- “नौकरी छोड़ी तो सोचा अच्छा काम मिलेगा, लेकिन यह तो आसमान से गिरे खजूर में अटके जैसा हो गया।”
- “कर्ज से निकले तो बीमारी ने घेर लिया – सच में आसमान से गिरे खजूर में अटके।”
- “पढ़ाई में दिक्कत थी, अब फीस की चिंता अलग – ये तो आसमान से गिरे खजूर में अटके जैसी स्थिति है।”
इस प्रकार यह मुहावरा रोज़मर्रा की जिंदगी में उन परिस्थितियों को व्यक्त करता है जब इंसान एक परेशानी से निकलकर दूसरी बड़ी दिक्कत में फँस जाता है।
इन सभी कहानियों में "आसमान से गिरे, खजूर में अटके" का सार है कि लोग एक समस्या से छुटकारा पाने की कोशिश में दूसरी और भी बड़ी परेशानी में फंस जाते हैं।
1. छुट्टी की योजना
कविता ने अपनी नौकरी से छुट्टी लेकर सोचा कि किसी हिल स्टेशन पर जाकर आराम करेगी। लेकिन जैसे ही वह वहां पहुंची, मौसम बिगड़ गया और लगातार बारिश होने लगी। वह न घूम पाई, न आराम कर पाई। उसने महसूस किया कि उसकी छुट्टी और ज़्यादा तनावपूर्ण हो गई। यह सही मायने में था, "आसमान से गिरे, खजूर में अटके।"
2. गलत सवारी
रवि अपनी ट्रेन पकड़ने के लिए भागा। जैसे-तैसे ट्रेन पकड़ ली, लेकिन वो गलत ट्रेन थी जो उसे उसके गंतव्य से और दूर ले गई। ट्रेन से उतरकर उसने टैक्सी ली, लेकिन टैक्सी वाला भी उसे गलत रास्ते पर ले गया। रवि को समझ में आ गया कि वह "आसमान से गिरे, खजूर में अटके" वाली हालत में है।
3. घर का संघर्ष
गीता ने सोचा कि अपने छोटे घर से निकलकर बड़े फ्लैट में चले जाएं तो जिंदगी आसान हो जाएगी। उसने एक बड़ा फ्लैट किराए पर लिया, लेकिन किराया इतना ज्यादा था कि वह हर महीने कर्ज़ में डूबने लगी। वह पुराने छोटे घर की परेशानी से निकलकर नए बड़े घर की बड़ी मुश्किलों में फंस गई।
4. दूसरी नौकरी की परेशानी
मोहित की पहली नौकरी में तनख्वाह कम थी, इसलिए उसने सोचा कि दूसरी कंपनी में जॉब करने से सब ठीक हो जाएगा। लेकिन नई कंपनी में काम का तनाव इतना था कि वह पुरानी नौकरी के दिन याद करने लगा। असल में, वो "आसमान से गिरे, खजूर में अटके" वाली स्थिति में आ गया था।
5. खराब व्यापार
रमेश ने अपने पुराने बिजनेस में घाटा होने के बाद सोचा कि नया बिजनेस शुरू करेंगे। नए बिजनेस में भी उसे ज्यादा मुनाफा नहीं हुआ और धीरे-धीरे उसे और ज्यादा कर्ज़ लेना पड़ा। एक कठिनाई से निकलने की कोशिश में वह दूसरी मुसीबत में फंस गया।

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