रक्त पिपासा का अंत: मौत के साये से जीत - डरावनी कहानी हिंदी में! A Short Horror Story in Hindi

Short Horror Story: एक छोटे से कस्बे में दहशत का साया छाया हुआ था। हर दस साल पर एक रहस्यमयी मौतों का सिलसिला शुरू हो जाता था। लेकिन एक युवा पत्रकार अदिति ने हिम्मत दिखाई और इस रहस्य से पर्दा उठाया। आइए, जानते हैं कैसे एक लड़की ने अंधकार को उजाले में बदल दिया।

रक्त पिपासा का अंत: मौत के साये से जीत -...

मौत के साये से जीत - डरावनी कहानी हिंदी में

यह कहानी उस छोटे से कस्बे की है, जहां हर दस साल में एक अजीब सी घटना घटती थी। कस्बे के लोग इस घटना से खौफ खाते थे। कहते थे, हर दस साल पर एक ऐसी रात आती है, जब कस्बे में रहस्यमयी मौतें होने लगती हैं। मारे गए लोगों के शरीर से एक-एक करके खून सूख जाता है।

इस बार भी वही हुआ। दस साल पूरे होते ही कस्बे में एक अजीब सा सन्नाटा छा गया। रात ढलते ही लोगों ने अपने घरों के दरवाजे-खिड़कियां बंद कर लीं। कोई भी घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था।

कहानी की नायिका, अदिति, एक युवा पत्रकार थी। वह इस रहस्यमयी घटना की सच्चाई जानने के लिए बेताब थी। उसने अपने कैमरे के साथ कस्बे की सड़कों पर कदम रखा। रात का सन्नाटा और कस्बे की पुरानी, डरावनी इमारतें उसके दिल में डर पैदा कर रही थीं, लेकिन जिज्ञासा उसे आगे बढ़ा रही थी।

अचानक, उसके कानों में एक चीख सुनाई दी। वह तेज़ी से उस आवाज़ की तरफ दौड़ी। एक पुराने, बंद पड़े घर से वह चीख आ रही थी। हिम्मत जुटाकर अदिति ने घर के अंदर प्रवेश किया। अंदर का दृश्य उसके होश उड़ा देने वाला था। एक कमरे में एक युवक पड़ा हुआ था। उसका चेहरा पीला पड़ रहा था, और उसके शरीर से तेज़ी से खून बह रहा था।

अदिति ने तुरंत पुलिस को फोन किया, लेकिन जब तक पुलिस पहुंची, युवक की मौत हो चुकी थी। उसके शरीर से सारा खून निकल चुका था। पुलिस ने जाँच शुरू की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।

रक्त की प्यास

अदिति ने अपनी जाँच जारी रखी। उसने पुराने दस्तावेज़ों को खंगाला, बुज़ुर्ग लोगों से बात की। धीरे-धीरे उसे एक बात का पता चला। कस्बे में एक पुरानी कहानी थी, एक राक्षस की, जो हर दस साल पर जागता था और लोगों का खून पीता था।

अदिति को यकीन नहीं हो रहा था, लेकिन उसके पास और कोई जवाब नहीं था। वह डरी हुई थी, लेकिन साथ ही उत्सुक भी। वह इस राक्षस का सामना करने के लिए तैयार थी।

अदिति ने पुराने दस्तावेज़ों में एक रहस्यमयी प्रतीक देखा। यह प्रतीक कस्बे के कई पुराने घरों की दीवारों पर भी उकेरा हुआ था। स्थानीय बुज़ुर्गों ने बताया कि यह प्रतीक एक प्राचीन देवता का था, जिसकी पूजा कभी इस कस्बे में होती थी। लेकिन समय के साथ इस देवता की पूजा बंद हो गई और इसे राक्षस का रूप दे दिया गया।

अदिति ने एक पुराने ज्योतिषी से संपर्क किया। ज्योतिषी ने बताया कि इस देवता को शांत करने के लिए एक विशेष पूजा करनी होगी। इसके लिए कुछ दुर्लभ जड़ी-बूटियों की जरूरत थी। अदिति को लगा कि यह उसका एकमात्र रास्ता है।

उसने जंगलों में जाकर उन जड़ी-बूटियों की खोज शुरू की। यह सफर आसान नहीं था। जंगल घने थे और रातें डरावनी। लेकिन अदिति हार नहीं मानी। उसे पता था कि कस्बे की जानें दांव पर लगी हैं।

कड़ी मेहनत के बाद, अदिति ने सारी जड़ी-बूटियां इकट्ठी कर लीं। उसने एक पुराने मंदिर की खोज की, जो इस देवता को समर्पित था। वहां उसने पूजा की तैयारी शुरू की।

पूजा की रात आ गई। कस्बे में फिर से दहशत फैल गई थी। लोग अपने घरों में दुबके हुए थे। अदिति अकेले ही मंदिर में थी। उसने पूजा शुरू की। धीरे-धीरे, मंदिर के अंदर एक अजीब सी शक्ति महसूस होने लगी। हवा तेज होने लगी, और मंदिर के दीपक डगमगाने लगे।

तभी, मंदिर के दरवाज़े जोर से खुले। अंधेरे से एक विशालकाय आकृति उभरी। वह वही राक्षस था, जिसके बारे में कहा जाता था। उसकी आंखें लाल थे, और उसके मुंह से लाल लार टपक रही थी।

अदिति डरी नहीं। उसने हिम्मत जुटाकर पूजा जारी रखी। धीरे-धीरे, उसके चेहरे पर एक चमक आ गई। पूजा की शक्ति बढ़ती जा रही थी। राक्षस तड़पने लगा। वह अदिति पर हमला करना चाहता था, लेकिन वह उसकी शक्ति के सामने बेबस था।

आखिरकार, एक तेज रोशनी के साथ, राक्षस का शरीर धुएं में बदल गया। मंदिर में शांति छा गई। अदिति ने जीत हासिल कर ली थी।

कस्बे की रक्षक

राक्षस के नाश के बाद, कस्बे में एक नई सुबह की शुरुआत हुई। लोग अब बिना डर के जीने लगे। अदिति को एक नई पहचान मिल गई। उसे ‘कस्बे की रक्षक’ के नाम से जाना जाने लगा। उसकी हिम्मत और बुद्धि की लोग प्रशंसा करते थे।

समय बीतता गया। अदिति ने कस्बे में ही रहने का फैसला किया। उसने एक छोटा सा घर लिया और लोगों की मदद करने लगी। वह युवाओं को शिक्षा के महत्व बताती, बुजुर्गों की सेवा करती, और कस्बे के विकास में योगदान देती।

कस्बे में एक पुस्तकालय खोलने का उसका सपना था। वो चाहती थी कि कस्बे के लोग पढ़े-लिखे बनें और अपने पैरों पर खड़े हों। धीरे-धीरे, उसके सपने साकार होने लगे। कस्बे में एक छोटा, लेकिन अच्छा पुस्तकालय बन गया।

अदिति की कहानी दूर-दूर तक फैल गई। लोग उससे प्रेरणा लेने आते थे। उसने अपने जीवन को एक मिसाल बना दिया। वह न सिर्फ एक बहादुर महिला बनी, बल्कि एक प्रेरणा बन गई।

कस्बे में अब शांति और खुशी का राज था। लोग एक-दूसरे की मदद करते थे। बच्चे स्कूल जाते थे, और बुजुर्गों का आदर होता था। यह सब अदिति की वजह से संभव हो पाया था।

और इस तरह, एक लड़की, जिसने डर को मात दी, एक नई शुरुआत की, और एक पूरे कस्बे को बदल दिया। उसकी कहानी एक मिसाल बन गई, जो सदियों तक याद की जाएगी।

संबंधित पोस्ट
KushMCA Tools

Free Financial Calculators

Use SIP, EMI, CAGR & more calculators in English & Hindi. Simple, fast and accurate!

Start Calculating →