नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली: 15 लघु कथाएँ – जीवन और नैतिकता की सीखें

इस लेख में हम रोचक कहानियों के माध्यम से लोकप्रिय हिंदी मुहावरे "नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली" का गहरा विश्लेषण करेंगे।

नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली: 15 लघु कथाएँ – जीवन और नैतिकता की सीखें

इस लेख में हम मुहावरा “नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली” पर आधारित लघु कथाओं का संग्रह प्रस्तुत कर रहे हैं।

यह मुहावरा उन व्यक्तियों के व्यवहार को दर्शाता है जो अपने किए हुए कर्मों की जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लेते हैं।

यहाँ 15 छोटी कहानियाँ दी गई हैं, जिनमें हर कहानी एक अलग दृष्टिकोण से जीवन की सीख देती हैं।

हर कथा के अंत में उसका नैतिक संदेश भी दिया गया है, ताकि पाठक उसे अपने जीवन में उतार सकें।

ये कथाएँ सरल हिंदी में लिखी गई हैं और बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के लिए उपयुक्त हैं।

आप इन लघु कथाओं को पढ़कर मनोरंजन के साथ-साथ महत्वपूर्ण सबक भी सीखेंगे।

प्रत्येक कहानी का शीर्षक स्पष्ट रूप से दिया गया है, जिससे आप आसानी से अपनी पसंद की कहानी चुन सकते हैं।

इस लेख का उद्देश्य है ज्ञान और मनोरंजन का संयोजन करना, ताकि पढ़ने का अनुभव समृद्ध हो।

यह संग्रह आपको आत्मनिरीक्षण की प्रेरणा देगा और जीवन की जिम्मेदारी समझने में मदद करेगा।

चलिए, शुरुआत करते हैं “नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली” मुहावरे की पहली कथा से।

1. शहर का धनी - रमेश

शहर का सबसे बड़ा व्यापारी रमेश था। उसने व्यापार में धोखाधड़ी कर लोगों से करोड़ों रुपये कमाए। लेकिन जब उसे उम्रदराज़ी में अपनी गलती का एहसास हुआ, तो वह धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल हो गया और दान-पुण्य करने लगा। लोग अब कहने लगे, "नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली।"

2. मंत्री की दिखावटी ईमानदारी

रामलाल एक भ्रष्ट मंत्री था, जो हर सरकारी योजना में घोटाला करता था। उसने जनता के धन का खूब दुरुपयोग किया। लेकिन जब उसकी राजनीतिक स्थिति कमजोर होने लगी, तो उसने लोगों के सामने ईमानदार बनने का नाटक शुरू कर दिया। यह देखकर जनता कहने लगी, "नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली।"

3. अमानत का जाल

सुरेश अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से उधार लेकर उन्हें कभी वापस नहीं करता था। जब उसकी सच्चाई सबके सामने आई, तो उसने धर्मशाला बनाने की योजना बनाई, ताकि लोगों की नजरों में वह पुनः सम्मान पा सके। लोगों ने यह देखकर कहा, "नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली।"

4. कॉर्पोरेट दुनिया का प्रपंच

एक बड़ी कंपनी के सीईओ, आनंद, ने कई वर्षों तक अपने कर्मचारियों का शोषण किया और उन्हें उनका हक नहीं दिया। लेकिन जब उसे अपने पद से हटाए जाने का खतरा महसूस हुआ, तो उसने कर्मचारियों के लिए बोनस और सुविधाओं की घोषणा कर दी। सभी ने कहा, "नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली।"

5. पड़ोसी की मक्कारी

पड़ोस में रहने वाला रमेश हमेशा दूसरों की चीजें चुराता था। लेकिन जब उसकी चोरी पकड़ी गई, तो उसने मंदिर में जाकर पूजा-पाठ शुरू कर दिया और सबके सामने अच्छे कर्मों का दिखावा करने लगा। लोग उसकी चालाकी को समझ गए और बोले, "नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली।"

6. महंगा दान

एक ठेकेदार, सुरेश, ने सरकारी निर्माण कार्य में बड़ी घूस ली और घटिया सामग्री का उपयोग किया। बाद में उसने अपनी छवि सुधारने के लिए गरीबों में कपड़े बांटने की योजना बनाई। लोग जानते थे कि यह सिर्फ उसकी छवि बचाने का प्रयास है, तो बोले, "नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली।"

7. छात्र का बहाना

राहुल हमेशा स्कूल में नकल करता था और पढ़ाई से बचने के लिए झूठ बोलता था। जब परीक्षा के समय वह पकड़ा गया, तो उसने अध्यापक से माफी मांगने और भविष्य में अच्छे आचरण का वादा किया। क्लास के सभी बच्चे हंसकर बोले, "नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली।"

8. राजनेता की चाल

एक नेता, जिन्होंने अपने कार्यकाल में कई घोटाले किए थे, चुनाव से पहले गरीबों में राशन बांटने और मुफ्त सेवाओं की घोषणा की। जनता समझ चुकी थी कि यह सब वोट पाने का तरीका है, इसलिए कहने लगी, "नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली।"

9. शिक्षक का छल

एक शिक्षक, जो हमेशा अपने छात्रों से सख्ताई और अनुचित व्यवहार करता था, जब सेवानिवृत्ति के समय आया तो उसने छात्रों को उपहार और शुभकामनाएँ देना शुरू कर दिया। छात्रों ने आपस में कहा, "नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली।"

10. बिजनेसमैन का ढोंग

अजय ने अपने व्यापार में काले धन का खूब इस्तेमाल किया। लेकिन जब सरकार की नज़रें उस पर पड़ीं, तो उसने अचानक धर्म के रास्ते पर चलने और समाज सेवा में रुचि दिखाने का नाटक किया। उसके जानने वाले कहने लगे, "नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली।"

11. दोस्त की मक्कारी

रोहित ने कई बार अपने दोस्तों के साथ धोखा किया और उनके पैसे वापस नहीं किए। लेकिन जब उसे अपने समाज में बदनामी का डर हुआ, तो उसने अपने दोस्तों को बड़े महंगे गिफ्ट देने शुरू कर दिए। दोस्तों ने उसकी असलियत को पहचानते हुए कहा, "नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली।"

12. असली चेहरा

सुनैना ने अपनी सहेलियों के पीछे कई अफवाहें फैलाईं, जिससे उनकी छवि खराब हो गई। लेकिन जब उसकी पोल खुली, तो उसने उनके लिए एक बड़ा पार्टी आयोजित कर उनकी तारीफों के पुल बांधने शुरू कर दिए। सहेलियों ने एक सुर में कहा, "नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली।"

13. अपराधी का पछतावा

रवि एक अपराधी था, जिसने कई गैरकानूनी काम किए। लेकिन जब पुलिस ने उसे पकड़ने की तैयारी की, तो उसने भगवान का नाम लेकर धार्मिक यात्रा पर जाने का फैसला कर लिया। लोगों ने उसकी इस चाल को तुरंत भांपते हुए कहा, "नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली।"

14. कार्यालय की राजनीति

अफजल अपने सहकर्मियों के खिलाफ हमेशा साजिशें रचता था और उन्हें नौकरी से निकलवाने के लिए झूठे आरोप लगाता था। जब उसे प्रमोशन मिलने का समय आया, तो उसने अचानक सभी के साथ अच्छे संबंध बनाने का प्रयास शुरू कर दिया। सहकर्मी जान गए और बोले, "नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली।"

15. पड़ोस का दिखावा

गीता, जो अपने पड़ोसियों से हमेशा लड़ाई करती थी और उनके घर में आग लगाने तक की धमकी देती थी, जब उसके परिवार पर संकट आया, तो उसने पड़ोसियों से माफी मांगने और मदद मांगने का प्रयास किया। सबने आपस में कहा, "नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली।"

Frequently Asked Questions

Iska matlab hai ki koi vyakti apne bure kaamon ko bhool kar achhai ka bahana banata hai, ya apni zimmedari se bachne ki koshish karta hai.

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