नाच न जाने आँगन टेढ़ा मुहावरे पर आधारित प्रेरक कहानियाँ! Short Stories

इस लेख में नाच न जाने आँगन टेढ़ा मुहावरे पर आधारित कहानियाँ हैं जो दिखाती हैं कि कैसे लोग अपनी गलतियों को दूसरों पर थोपते हैं। ये कहानियाँ सिखाती हैं कि असफलता से सीखना और अपनी कमियों को स्वीकारना ज़रूरी है।

नाच न जाने आँगन टेढ़ा मुहावरे पर आधारित...

नाच न जाने आँगन टेढ़ा: प्रेरक कहानियाँ

हिंदी मुहावरे 'नाच न जाने आँगन टेढ़ा' का अर्थ होता है कि जब व्यक्ति अपनी कमजोरी या गलती स्वीकार नहीं करता और उसका दोष किसी और पर डाल देता है। इस मुहावरे पर आधारित कहानियाँ इस प्रकार हैं:

1. बबलू का परीक्षा बहाना

बबलू को परीक्षा में अच्छे अंक नहीं मिले। जब उसकी माँ ने पूछा कि आखिर क्या वजह थी, तो उसने उत्तर दिया "माँ, इस बार टीचर ने इतने टेढ़े-मेढ़े सवाल पूछे कि मेरा ध्यान ही नहीं जम पाया।" असल में बबलू ने तैयारी सही से नहीं की थी, लेकिन अपनी गलती मानने के बजाय वह टीचर और प्रश्नपत्र को दोष देने लगा। यह 'नाच न जाने आँगन टेढ़ा' का सही उदाहरण है।

2. रोहित का क्रिकेट खेल

रोहित ने अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेला पर हर बार बॉल से चूक गया। हारने के बाद उसने कहा, "यह मैदान ही खराब है, इसीलिए मैं सही से खेल नहीं पा रहा।" असल में वह अभ्यास में कमजोर था पर उसने मैदान को दोष दे दिया।

3. रीमा का पेंटिंग कौशल

रीमा ने एक पेंटिंग प्रतियोगिता में भाग लिया। जब उसकी पेंटिंग को सराहना नहीं मिली तो उसने कहा, "मेरे रंग खराब थे, इसीलिए पेंटिंग अच्छी नहीं बन पाई।" असल में वह पेंटिंग की तकनीक में कमजोर थी, लेकिन उसने रंगों को दोष दे दिया।

4. राहुल का प्रेज़ेंटेशन फेलियर

ऑफिस में राहुल को एक महत्वपूर्ण प्रेज़ेंटेशन देना था, लेकिन जब वह प्रेज़ेंटेशन ठीक से नहीं कर पाया, तो उसने कहा, "प्रोजेक्टर की लाइट सही नहीं थी, इसलिए मैंने अच्छे से नहीं बोल पाया।" असल में वह पूरी तरह तैयार नहीं था, लेकिन उसने उपकरण को दोष दे दिया।

5. नेहा का खाना बनाने का अनुभव

नेहा पहली बार खाना बना रही थी। जब खाना जल गया, तो उसने कहा, "गैस का फ्लेम ही बहुत तेज़ था, इसलिए खाना जल गया।" असल में उसे खाना पकाने का सही अनुभव नहीं था लेकिन उसने दोष गैस को दे दिया।

6. अमन की गाड़ी चलाना

अमन नई गाड़ी चला रहा था लेकिन बार-बार गाड़ी बंद हो रही थी। उसने अपने दोस्तों से कहा, "गाड़ी में ही कुछ खराबी है, मैं तो अच्छी तरह चला रहा था।" जबकि अमन को गाड़ी चलाने का अभ्यास नहीं था, पर उसने गाड़ी को दोष दिया।

7. मीना का सिलाई करना

मीना ने अपनी ड्रेस खुद सिलने की कोशिश की, लेकिन सिलाई टेढ़ी-मेढ़ी हो गई। जब उसकी सहेली ने पूछा तो उसने कहा, "सुई और धागे का सेट सही नहीं था।" असल में उसे सिलाई का अनुभव नहीं था, पर उसने उपकरणों को दोष दिया।

8. सोहन का खेल प्रतियोगिता

सोहन ने दौड़ प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, पर वह जीत नहीं पाया। उसने कहा, "मेरे जूते सही नहीं थे, इसलिए मैं तेज़ नहीं दौड़ सका।" जबकि उसकी फिटनेस में कमी थी, पर उसने जूतों को दोष दिया।

9. संजय का गिटार सीखना

संजय ने गिटार बजाने की कोशिश की, लेकिन सही धुन नहीं निकाल पाया। उसने कहा, "गिटार की स्ट्रिंग्स ही खराब हैं।" असल में उसे अभ्यास की कमी थी, पर उसने गिटार को दोष दिया।

10. शीतल का परीक्षा रिजल्ट

शीतल की परीक्षा में नंबर कम आए। उसने कहा, "परीक्षा हॉल में इतनी गर्मी थी कि मैं ध्यान ही नहीं लगा पाई।" जबकि वह परीक्षा की तैयारी में कमजोर थी, पर उसने परीक्षा के वातावरण को दोष दे दिया।

11. निखिल का साइकिल चलाना

निखिल नई साइकिल चला रहा था, पर हर बार गिर जाता। उसने कहा, "सड़क बहुत खराब है, इसलिए साइकिल ठीक से नहीं चल रही।" जबकि वह साइकिल चलाना सही से नहीं जानता था, पर उसने सड़क को दोष दे दिया।

12. प्रिया का कविता प्रतियोगिता

प्रिया ने स्कूल की कविता प्रतियोगिता में भाग लिया, पर वह मंच पर अटक गई। उसने कहा, "माइक की आवाज़ साफ़ नहीं आ रही थी, इसलिए मैं भूल गई।" जबकि उसे याद करने में कठिनाई हो रही थी, पर उसने माइक को दोष दिया।

13. रवि का सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट

रवि का सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट समय पर पूरा नहीं हुआ। उसने बॉस से कहा, "सिस्टम में बहुत बग थे, इसलिए मैं समय पर प्रोजेक्ट नहीं दे सका।" असल में रवि ने काम समय से शुरू नहीं किया था, पर उसने सिस्टम को दोष दे दिया।

14. सोनिया का गार्डनिंग का शौक

सोनिया ने अपने गार्डन में पौधे लगाए, लेकिन सभी पौधे मुरझा गए। उसने कहा, "यह मिट्टी ही खराब है, इसलिए पौधे नहीं पनप सके।" जबकि उसे पौधों की देखभाल का सही ज्ञान नहीं था, पर उसने मिट्टी को दोष दिया।

15. राकेश का कुकिंग शो

राकेश ने कुकिंग शो में हिस्सा लिया, पर उसका पकवान सही से नहीं बन पाया। उसने कहा, "यहाँ के बर्तन ही सही नहीं हैं, इसलिए मेरा पकवान बिगड़ गया।" जबकि उसे कुकिंग का सही अनुभव नहीं था, पर उसने बर्तनों को दोष दिया।

इन सभी कहानियों में यह बात साफ है कि व्यक्ति अपनी कमी या गलती को स्वीकार नहीं करता और दोष किसी और चीज़ पर डाल देता है। यह ठीक उसी तरह है जैसे 'नाच न जाने आँगन टेढ़ा'।

संबंधित पोस्ट