दादी माँ की कहानियाँ
अनमोल एक जिज्ञासु बच्चा था। उसे कहानियाँ सुनना बहुत पसंद था। एक शाम, जब सूरज ढल रहा था, अनमोल अपनी दादी माँ के पास बैठा हुआ था। दादी माँ की झुर्रियों से भरा चेहरा अनगिनत कहानियों को समेटे हुए था।
"दादी माँ, आज मुझे कोई कहानी सुनाओ," अनमोल ने आग्रह किया।
दादी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा, "आज मैं तुम्हें पेड़ों की कहानी सुनाती हूँ।"
अनमोल चौंक गया। "पेड़ों की कहानी?"
दादी माँ ने समझाया, "पेड़ हमारे सबसे अच्छे दोस्त हैं। वे हमें साँस लेने के लिए हवा देते हैं, फल देते हैं और छाया देते हैं। इसलिए, उनकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।"
अनमोल ध्यान से सुनने लगा। दादी माँ ने उसे प्राचीन समय की कहानी सुनाई, जब जंगल घने हुआ करते थे और जानवरों-पक्षियों की चहचहाहट हर तरफ सुनाई देती थी। लेकिन कुछ समय बाद, लोगों ने पेड़ों को काटना शुरू कर दिया, जिससे जंगल कम होने लगे।
दादी माँ ने बताया कि पेड़ों के कम होने से वातावरण प्रदूषित होने लगा, बाढ़ आने लगीं और सूखा पड़ने लगा। जानवरों के रहने के लिए जगह कम हो गई और कुछ प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर पहुँच गईं।
अनमोल को यह कहानी सुनकर बहुत दुख हुआ। उसने पूछा, "दादी माँ, अब क्या किया जा सकता है?"
दादी माँ ने कहा, "अनमोल, अब भी देर नहीं हुई है। हम पेड़ लगाकर, पानी बचाकर और पर्यावरण को साफ रखकर पृथ्वी को बचा सकते हैं।"
अगले दिन, अनमोल ने अपने घर के पास एक पौधा लगाया। उसने अपने दोस्तों को भी पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया। धीरे-धीरे, गाँव में हर जगह पेड़ लगने लगे।
कुछ सालों बाद, गाँव हरे-भरे पेड़ों से भर गया। वातावरण स्वच्छ हो गया और पक्षी वापस आ गए। अनमोल को खुशी हुई कि उसने दादी माँ की बात मानी और पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दिया।
नैतिक शिक्षा:
- पेड़ हमारे मित्र हैं, उनकी रक्षा करें।
- पर्यावरण संरक्षण हर किसी का कर्तव्य है।
- छोटे-छोटे प्रयास मिलकर बड़ा बदलाव ला सकते हैं।