ऊँट के मुँह में जीरा: मुहावरे की उत्पत्ति, उपयोग और 5 छोटी कहानियाँ
"ऊँट के मुँह में जीरा" एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है जो उस स्थिति को दर्शाता है जब किसी बड़ी आवश्यकता या समस्या के समाधान के लिए किया गया प्रयास बहुत ही छोटा या अपर्याप्त होता है।

कहानियाँ Last Update Sun, 02 March 2025, Author Profile Share via
ऊँट के मुँह में जीरा मुहावरे का अर्थ
यह मुहावरा उस स्थिति को व्यक्त करता है जब किसी बड़ी समस्या के समाधान के लिए किया गया प्रयास बहुत ही तुच्छ या अपर्याप्त होता है। यह एक ऐसी स्थिति है जहां ज़रूरत बहुत बड़ी होती है, लेकिन मदद बहुत छोटी होती है।
मुहावरे की उत्पत्ति
इस मुहावरे की उत्पत्ति ऊँट की विशालकाय शरीर और उसकी भूख से जुड़ी है। ऊँट एक ऐसा जानवर है जिसे बहुत अधिक भोजन की आवश्यकता होती है। जीरा एक बहुत ही छोटा मसाला है। इसलिए, ऊँट के मुँह में जीरा डालना उसकी भूख मिटाने के लिए बहुत ही अपर्याप्त होगा। इसी विरोधाभास से यह मुहावरा बना है।
मुहावरे का उपयोग
यह मुहावरा अक्सर तब उपयोग किया जाता है जब कोई व्यक्ति किसी बड़ी समस्या के समाधान के लिए बहुत ही छोटा या अपर्याप्त प्रयास करता है। यह एक व्यंग्यात्मक तरीके से उस प्रयास की अपर्याप्तता को व्यक्त करता है।
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