अचानक मेहमान
विक्रम एक व्यस्त व्यापारी था। उसकी दिनचर्या बहुत ही तयशुदा थी। सुबह जल्दी उठना, ऑफिस जाना, काम करना, फिर देर शाम घर लौटना और थका हुआ सो जाना। उसके जीवन में परिवार के लिए ज्यादा समय नहीं था। उसकी पत्नी, श्वेता, एक गृहिणी थी।
एक शाम, ऑफिस से लौटते समय विक्रम को रास्ते में एक छोटा सा लड़का मिला। लड़का भूखा और परेशान लग रहा था। विक्रम को तरस आया और उसने उसे घर ले आया। श्वेता को अचानक मेहमान देखकर थोड़ा आश्चर्य हुआ, लेकिन उसने लड़के को दया भाव से भोजन कराया।
रात भर की बातें
विक्रम को पता चला कि लड़के का नाम राहुल है और वह कुछ दिनों पहले ही अपने गांव से बिछड़ गया था। विक्रम ने पुलिस को सूचना दी और राहुल को रातभर अपने घर रखने का फैसला किया। राहुल एक चंचल और बातूनी लड़का था। उसने विक्रम और श्वेता को अपने गांव की कहानियां सुनाईं। देर रात तक वे तीनों बातें करते रहे। विक्रम को सालों बाद ऐसा लगा कि वह हंस रहा है।
बदला हुआ विक्रम
सुबह, पुलिस राहुल के माता-पिता को ढूंढकर उनके घर ले आई। जाते समय राहुल ने विक्रम और श्वेता को गले लगाकर धन्यवाद दिया। राहुल के जाने के बाद घर सुनसान सा लगने लगा। विक्रम को एहसास हुआ कि उसके जीवन में कुछ कमी थी। उसने श्वेता से पूछा, "क्या कभी-कभी तुम भी अकेलापन महसूस करती हो?" श्वेता मुस्कुराई और बोली, "हां, कभी-कभी।"
नई शुरुआत
उस दिन के बाद विक्रम थोड़ा बदल गया। उसने ऑफिस के काम के साथ-साथ परिवार के लिए भी समय निकालना शुरू किया। वे दोनो साथ में घूमने जाते, फिल्में देखते और बातें करते। एक शाम, विक्रम ने श्वेता से कहा, " चलो, किसी अनाथालय में जाकर बच्चों से मिलते हैं।" श्वेता खुशी से मान गई।
विक्रम के जीवन में राहुल एक अचानक मेहमान की तरह आया था, लेकिन उसने विक्रम को जिंदगी का एक महत्वपूर्ण सबक सिखा दिया - रिश्तों को वक्त देना कितना जरूरी है।

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